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बढ़ता बिहार, उद्यम विहार: सत्तू को बनाया ब्रांड, देशभर में हासिल किया खास मुकाम

मधुबनी के सचिन कुमार ने एमबीए के बाद चार साल में खड़ा किया कारोबार। आधा दर्जन को दिया रोजगार पटना के दो अस्पतालों में चला रहे सत्तू कैफे। 14 अप्रैल 2018 को सतुआनी के दिन पैकेट बंद सत्तू बाजार में उतारा। प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के लिए मधुबनी में मशीन लगाई।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 11:51 AM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 02:57 PM (IST)
बढ़ता बिहार, उद्यम विहार: सत्तू को बनाया ब्रांड, देशभर में हासिल किया खास मुकाम
सालाना कारोबार करीब एक करोड़ पहुंच गया है। Photo- Jagran

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]। Industrial Growth in Bihar: चने के सत्तू को बिहार के एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने का काम किया है मधुबनी के सचिन कुमार ने। पटना में उनका सत्तू कैफे लोगों को पसंद आ रहा है। वे कई फ्लेवर में सत्तू शेक बेच रहे हैं। देशभर में सत्तूज नाम से पैकेट बंद सत्तू का आनलाइन व्यवसाय कर रहे हैं। चार साल पहले 10 लाख रुपये से शुरू कारोबार आज एक करोड़ तक पहुंच गया है। उन्होंने आधा दर्जन लोगों को रोजगार भी दिया है।

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सत्तूज नाम से ब्रांड

मधुबनी शहर के व्यवसायी सुनील कुमार महतो के बेटे सचिन ने दिल्ली में एमबीए की पढ़ाई के दौरान सत्तू को ब्रांड के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया। उन्हें पता था कि बिहार के लोग सत्तू काफी पसंद करते हैं। इसका व्यापार असंगठित रूप में है। सत्तूज ब्रांड के नाम से उन्होंने 14 अप्रैल, 2018 को सतुआनी के दिन पैकेट बंद सत्तू बाजार में उतारा। सबसे पहले इसे मधुबनी में लांच किया। छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की। दुकान और लोगोंं के पास जाकर इसे बेचा। जब काम चल निकला तो उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का फैसला लिया। प्रोसेसिंग और पैकेजिंग के लिए मधुबनी में मशीन लगाई। इसमें आधा दर्जन कर्मी कार्यरत हैं। चना और बढिय़ा क्वालिटी के सत्तू की खरीदारी के लिए मधुबनी और राज्य के अन्य जिलों के कुछ किसानों व व्यापारियों को जोड़ा है।

कई फ्लेवर में सत्तू शेक

पटना के पारस अस्पताल में जनवरी, 2022 में सत्तू कैफे की शुरुआत की। रूबन अस्पताल परिसर में भी सत्तू कैफे चल रहा है। यहां पाइनएप्पल, जलजीरा, स्ट्राबेरी, वनीला सहित अन्य फ्लेवर के सत्तू शेक उपलब्ध हैं। फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो से आर्डर करने पर घर तक पहुंचाने की व्यवस्था है। इसके अलावा पैकेट बंद सत्तू की सप्लाई उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में कर रहे हैं। इनका सालाना कारोबार करीब एक करोड़ पहुंच गया है।

पहले उड़ाते थे मजाक, अब करते सराहना

सचिन बताते हैं कि सत्तू का कारोबार शुरू किया तो रिश्तेदार और दोस्तों ने मजाक उड़ाया। लोगों को प्रोडक्ट और उसकी गुणवत्ता से अवगत कराने में समस्या आई। धीरे-धीरे लोग एनर्जी ड्रिंक के रूप में सत्तू सेवन के प्रति जागरूक हुए हैं। पहले जो लोग मजाक उड़ाते थे, अब वही सराहना करते हैं। उनके प्रोडक्ट को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआइ) का प्रमाणपत्र मिल चुका है। 


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