इंद्रदेव की मेहरबानी से इस नदी को मिला जीवनदान, खेतों में छाई हरियाली, किसानों के चेहरे पर मुस्कुराहट
दलसिंहसराय के ग्रामीणों के चेहरे पर 13 साल बाद खुशी सूखे हैंडपंपों में आने लगा पानी। सिंचाई की परेशानी होगी दूर बलान नदी बचाने के लिए कई वर्षों से लोग कर रहे थे संघर्ष।
समस्तीपुर, [अंगद कुमार सिंह]। नदी थी, लेकिन पानी नहीं। 13 बरस से दलसिंहसराय के आम जन से लेकर खेत-खलिहान तक उदास थे। लेकिन, इस बार मानसून खुशियां लेकर आया। इंद्रदेव मेहरबान हुए तो सूखे का दंश झेल रही बलान नदी में लबालब पानी भर गया। खेत में छा गई हरियाली तो किसानों के चेहरे पर आई मुस्कुराहट। बलान नदी सरायरंजन प्रखंड के घटहो के जमुआरी नदी से निकलकर बेगूसराय के भगवानपुर में गंडक नदी में मिलती है। वर्ष 2007 में बलान नदी में पानी उफान पर था। इसके उपरांत नदी सूख गई। वर्ष 2017 में बरसात में कुछ पानी आया था, लेकिन उसकी बदहाली मिटाने के लिए काफी नहीं था। इस बीच सूख चुकी बलान को बचाने के लिए लोगों ने काफी प्रयास किया। 'बलान नदी बचाओ संघर्ष समिति' बनाई गई। इससे नदी की तलहटी में कुछ पानी तो जरूर आया, लेकिन वह सिर्फ नाला बनकर रह गई थी।
तकरीबन एक लाख लोग प्रभावित
इससे बलान के किनारे बसे दलसिंहसराय प्रखंड के घटहो, नगरगामा, केवटा, नवादा, पगड़ा, सलखनी गढ़सिसई व हरिशंकरपुर सहित अन्य गांवों के तकरीबन एक लाख लोग प्रभावित थे। इन गांवों का जलस्तर करीब 40 फीट नीचे चला गया था। बहुत से हैंडपंप सूख गए थे। इस बार गंगा के साथ बारिश का पानी मिलने से बलान मचलने लगी है। सूखे हैंडपंपों से पानी आने लगा है। किसानों के चेहरे पर चमक है। वर्षों से बंद सिंचाई पंप के चालू होने की उम्मीद जगी है।
पानी का ठहराव रोकने की जरूरत
बलान नदी बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ता रंजीत निर्गुणी कहते हैं कि प्रकृति ने बलान को पुनर्जीवित कर दिया है, लेकिन इसमें पानी का ठहराव रोकने के लिए बेगूसराय के नवेला भीठ के स्लूस गेट को समय रहते बंद करने की जरूरत होगी। अभी नवेला भीठ गेट पर गंडक भी उफान पर है, लेकिन जैसे ही उसका जलस्तर घटेगा, बलान का पानी बह जाएगा। इससे बलान फिर सूखने के कगार पर पहुंच सकती है। बलान नदी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सोहन प्रसाद कहते हैं कि प्रकृति ने एक ही प्रयास में नदी को लबालब भर दिया है। नवनियुक्त अध्यक्ष विनोद कुमार पोद्दार कहते हैं कि नदी में आए पानी को सहेजने की जरूरत है। भाजपा नेता रणजीत निर्गुणी कहते हैं कि बलान अपने अधिकतम स्तर से महज कुछ मिलीमीटर कम है।