प्रेमचंद के साहित्य के प्रति योगदान के लिए सदैव ऋणी रहेगा भारतीय समाज
साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर विवि के हिंदी विभाग में प्रेमचंद आज के संदर्भ में विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। प्रेमचंद की जयंती पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के हिंदी विभाग की ओर से प्रेमचंद : आज के संदर्भ में विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी हुई। इसमें हिंदी के प्रख्यात आलोचकों, विभाग के प्राध्यापकों व विद्यार्थियों सहित करीब सौ लोगों ने भाग लिया। समन्वयक एवं संचालक डॉ.उज्ज्वल आलोक ने कहा कि प्रेमचंद के योगदान के प्रति भारतीय समाज सदैव ऋणी रहेगा। उन्होंने हिंदी कथा-साहित्य को तिलिस्मी और जादुई दुनिया से निकालकर उसे यथार्थ के धरातल पर प्रतिष्ठित किया।
हिंदी के प्रख्यात आलोचक तथा विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.रेवती रमण ने कहा कि प्रेमचंद भारत के पहले लेखक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह रचनात्मक प्रश्न उठाया कि आजादी किसके लिए? उन्होंने भारतीय जनता की स्थिति और भूमिका को सर्जनात्मक ढंग से अपने साहित्य के जरिए स्पष्ट किया। प्रेमचंद पर गांधी व अंबेडकर दोनों का प्रभाव था। संगोष्ठी में डॉ.राकेश रंजन, हिंदी के एसोसिएट प्रोफेसर एवं ङ्क्षहदी पत्रकारिता के विशेषज्ञ डॉ. कल्याण कुमार झा, आरएसएस साइंस कॉलेज, सीतामढ़ी के प्राचार्य डॉ. त्रिविक्रम नारायण ङ्क्षसह, विवि ङ्क्षहदी विभाग के वर्तमान अध्यक्ष प्रो.सतीश कुमार राय ने भी अपने-अपने विचार रखे। अंत में डॉ.संध्या पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक डॉ.धीरेंद्र प्रसाद राय, डॉ.वीरेंद्र नाथ मिश्र, बीएन मंडल विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ. कुमारी सीमा सहित ङ्क्षहदी के कई विद्वान शामिल हुए।