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India Nepal Border: जल्द खुल सकती है कई माह से बंद भारत-नेपाल सीमा, पर्यटन व्यापारी संघ ने की पहल

India Nepal Border नेपाल के प्रधानमंत्री से मिले सीमावर्ती पर्सा जिला वीरगंज होटल एवं पर्यटन व्यापारी संघ के अध्यक्ष की रक्सौल बार्डर खोलने की मांग। मांग पत्र के माध्यम से पर्यटन और होटल व्यापार की दयनीय स्थिति से कराया गया अवगत।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 09:32 AM (IST)
India Nepal Border: जल्द खुल सकती है कई माह से बंद भारत-नेपाल सीमा, पर्यटन व्यापारी संघ ने की पहल
रक्सौल से जुड़े पर्सा और बारा जिला में छोटे-बड़े करीब दो सौ होटल हैं। फोटो: व्यवसायी संघ

रक्सौल (पूर्वी चंपारण), जासं। भारत और नेपाल की सीमा से सटे पर्सा जिला वीरगंज के होटल तथा पर्यटन व्यापारी संघ के अध्यक्ष हरि पंत ने मंगलवार की देर संध्या काठमांडू सिंह दरबार में नेपाल के नवपदस्थापित प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउवा से मुलाकात की। उनलोगों ने रक्सौल बार्डर खोलने की मांग की। इसके लिए उन्हें मांग पत्र सौंपा गया। इसमें बताया है कि पर्यटन और होटल व्यापार ठप हो गया है। जिस कारण इससे जुड़े लोगों की हालत बदतर हो गई है। साथ ही बताया है कि रक्सौल से जुड़े पर्सा और बारा जिला में छोटे-बड़े करीब दो सौ होटल हैं। बार्डर सील होने से होटल बंद पड़े हैं। भारतीय वाहनों के परिचालन शुरू होने से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकेगा। प्रधानमंत्री ने संघ के इस मांग को सकारात्मक रूप में लिया है। पूर्व की सरकार ने कोरोना संक्रमण को लेकर बार्डर को सील कर दिया है। जिससे देश-विदेश के पर्यटकों के भारतीय नंबर के वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

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यहां बता दें कि पड़ोसी देश नेपाल में निजाम बदला है। नए प्रधानमंत्री के रूप में शेरबहादुर देउवा ने कमान संभाल ली है। इससे भारत से जुड़ी करीब 1750 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा पर स्थिति सामान्य होने की उम्मीद जगी है। पिछले करीब दो वर्षों यानी 20 माह से कोरोना संक्रमण को लेकर भारत- नेपाल की सीमा सील कर दिया गई थी। जिससे देशी-विदेशी लोगों का आवागमन बंद है। अब बार्डर खुलने की उम्मीद जगी है।

बता दें कि करीब पांच माह पूर्व नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल ने बॉर्डर खोलने का निर्णय लिया था। इसकी घोषणा के बाद नेपाल सरकार के उप प्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल ने दो दिनों के अंदर भारतीय वाहनों को नेपाल में प्रवेश की अनुमति का आश्वासन दिया था। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात निकला। इस संबंध में नेपाल होटल तथा पर्यटन व्यवसायी संघ और पर्यटन पत्रकार संघ ने ज्ञापन भी सौंपा गया था। जिसमें बताया था कि नेपाल की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है। नेपाल के विभिन्न प्रदेशों में छह अरब से अधिक की लागत से होटल तैयार किया गया है। नेपाल में 70 प्रतिशत भारतीय मूल के पर्यटक आते हैं। जिससे उक्त व्यापार चलता है। कोरोना संक्रमण काल में बार्डर सील होने से देशी-विदेशी पर्यटकों का आगमन बंद हो गया। भारतीय वाहनों पर प्रतिबंध लगाने और स्थानीय प्रशासन की सख्ती से व्यापार ठप हो गया। जिसे उप प्रधानमंत्री श्री पोखरेल ने गंभीरता से लिया था। नेपाल में मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद स्थानीय नेपाल प्रशासन ने भारतीय वाहनों के प्रवेश की अनुमति अबतक नहीं दी है। इससे देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या काठमांडू, पोखरा, चितवन आदि क्षेत्रों में नगण्य हो गई है। इस कारण राजस्व की क्षति हो रही है। वाहनों के प्रवेश नहीं होने से पहाड़ी व्यापारियों की स्थिति आर्थिक रूप से कमजोर हो रही है। इसके अलावा दोनों देशों के लोगों के बीच दूरी बढ़ रही है। बता दें कि करीब दो वर्ष से रोक जारी होने से भारतीय पर्यटक और स्थानीय लोग भारतीय वाहनों को लेकर नेपाल नहीं जा पा रहे है।

भारत-नेपाल सीमा कोरोना संक्रमण को लेकर 20 माह से सील है। इस कारण भारतीय वाहनों का नेपाल में प्रवेश नहीं हो रहा है। जबकि नेपाली वाहन निर्बाध गति से भारतीय सीमा में आ रहे हैं। नेपाल के सीमावर्ती पर्सा औऱ बारा जिला के प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि बार्डर खोलने का निर्णय हुआ है। इसके लिए अधिकृत रूप से कोई पत्र और मेल नहीं मिला है। जबकि भारत या तीसरे देशों से आयात-निर्यात पर प्रतिबंध नहीं है। भारतीय वाहनों का प्रवेश नहीं होने से देशी-विदेशी पर्यटकों के नेपाल यात्रा को लेकर संशय है। पर्यटकों के लिए नेपाली टैक्सी काफी महंगा है। जबकि भारत सरकार ने दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को देखते हुए करीब दस माह पूर्व ही इंडो-नेपाल बॉर्डर को खोल दिया है। हालांकि सीमावर्ती क्षेत्र के लोग चोरी-छिपे ग्रामीण रास्तों से नेपाली नंबर की बाइक और टेम्पो से आवागमन कर रहे है। जबकि भारत-नेपाल पारगमन संधि के मुताबिक दोनों देशों के बार्डर सबंधित एयरपोर्ट, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और बस पड़ाव तक निर्बाध रूप से वाहनों के आवागमन की छूट है। 


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