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Bihar, Muzaffarpur Election: नामांकन करने पहुंचे औराई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश यादव गिरफ्तार, जानिए क्या है आरोप

Bihar Muzaffarpur Election 2020 औराई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने पहुंचे अखिलेश यादव को गिरफ्तार कर लिया गया। एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज है मुकदमा। पूर्व में औराई से महागठबंधन उम्मीदवार आफताब आलम भी हुए थे गिरफ्तार।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:57 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 08:57 PM (IST)
Bihar, Muzaffarpur Election: नामांकन करने पहुंचे औराई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश यादव गिरफ्तार, जानिए क्या है आरोप
नामांकन करने पहुंचे औराई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी अखिलेश यादव गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। औराई विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे अखिलेश यादव को समाहरणालय परिसर से गिरफ्तार कर लिया गया। उनके विरुद्ध एससी/एसटी थाने में अनुसूचित जाति /जनजाति अत्याचार प्रतिषेध अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज है। 

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 अखिलेश यादव औराई से कई बार विधायक रहे व पूर्व मंत्री गणेश यादव के पुत्र हैं। औराई विधानसभा क्षेत्र से नामांकन के दौरान गिरफ्तार होने वाले वे दूसरे प्रत्याशी हैं। इससे पहले 15 अक्टूबर को महागठबंधन के भाकपा माले के उम्मीदवार आफताब आलम को गिरफ्तार किया गया था। 

यह है मामला

एक्सपायर दवा को लेकर एक नवंबर 2019 को औराई पीएचसी में बवाल हुआ था। एएनएम सविता कुमारी के आवेदन पर एससी/एसटी थाने में अखिलेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वहीं पिछले साल अक्टूबर में अखिलेश यादव के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया गया था। जब सिविल सर्जन जांच के लिए पहुंचे तो उनका कॉलर पकड़कर अभद्र व्यवहार किया गया था। अस्पताल कर्मियों के साथ भी मारपीट व अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था। उनके खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया था।  नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद एससी /एसटी थाना के थानाध्यक्ष रवि कुमार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें विशेष न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उन्हें बेनीपुर उपकारा में भेज दिया गया।

 भ्रष्टाचार का विरोध करने पर साजिश के तहत फंसाया

अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने एक्सपायर दवा के वितरण और दवा घोटाले के मुद्दे पर आंदोलन किया। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे। इसमें कई बड़े अधिकारी फंसने जा रहे थे। इसलिए साजिश के तहत उनके खिलाफ प्रशासन की ओर से झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया गया।


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