Independence Day 2019: स्वतंत्रता सेनानी की हवेली, आजादी के सिपाहियों की रही शरणस्थली
स्वतंत्रता सेनानी हरिशरण श्रीवास्तव के आवास पर माह में तीन बार छापेमारी करती थी पुलिस। स्वतंत्रता सेनानी किशोरी प्रसन्न सिंह को दाई के वेश में हवेली से होना पड़ा था फरार।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आम गोला रोड पुल से बाईं तरफ पड़ाव पोखर जानेवाले मार्ग पर स्वतंत्रता सेनानी हरिशरण प्रसाद श्रीवास्तव की हवेली है। यह आजादी के आंदोलन की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों की शरणस्थली रही। हवेली का अंग्रेज राज में इतना खौफ था कि हर 10 दिन में पुलिस की छापेमारी होती थी। लेकिन, जिले के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इस हवेली का जिक्र नहीं है।
स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान हरिशरण प्रसाद ने दो बार पुलिस गिरफ्त से भागने का प्रयास किया। तथ्यों के अनुसार, पकड़े जाने पर जेल में अमानवीय यातना दी जाती थी। आजादी के सिपाहियों को एल्युमिनियम का कटोरा दिया गया था। शौच से लेकर भोजन तक सभी का एकमात्र पात्र था। खाने में पानी जैसा मरगिल्ला होता था, जिसपर मरे हुए पिल्लू होते थे। वही चावल खाने में दिया जाता था।
जेल की यातना से हरिशरण गठिया के मरीज हो गए। लेकिन, उन्होंने शरीर के नहीं, मन के हौसले से आजादी की लड़ाई लड़ी। लगातार अंग्रेजों से मोर्चा लेते रहे। छह एकड़ में हवेली में सेनानी बिंदेश्वरी प्रसाद वर्मा, जो बिहार विधानसभा के तीन बार अध्यक्ष भी रहे, रामदयालु बाबू समेत अन्य सेनानियों की मीटिंग व रणनीति तय होती रहती थी। एक बार नेहरू जी भी उनके आवास पर मीटिंग करने आए थे। एक बार हाजीपुर के स्वतंत्रता सेनानी किशोरी प्रसन्न सिंह छिपे थे। इसी बीच पुलिस आ गई। उन्होंने एक बेहद पुरानी साड़ी पहन कर लंबा घूंघट निकाला। हाथ में कटोरा लिया, जिसमें चावल था। इस तरह वे दाई बनकर पुलिस के सामने से निकल गए।
(स्वतंत्रता सेनानी हरिशरण प्रसाद श्रीवास्तव के पुत्र सुबोध शरण श्रीवास्तव से बातचीत पर आधारित। )