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Ayodhya Ram Mandir : उमड़ा जनसैलाब और देखते ही देखते विवादित ढांचे का मिट गया नामोनिशान

Ayodhya Ram Mandir बोले कारसेवक आचार्य पराशर जिंदा हूं इस सुखद दिन को देखने के लिए ही। नींव पडऩे के समय रामधुन होगा शाम में दीपोत्सव व अतिशबाजी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 10:02 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 10:02 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir : उमड़ा जनसैलाब और देखते ही देखते विवादित ढांचे का मिट गया नामोनिशान
Ayodhya Ram Mandir : उमड़ा जनसैलाब और देखते ही देखते विवादित ढांचे का मिट गया नामोनिशान

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। छह दिसंबर 1992 का दिन मेरे जीवन का सबसे यादगार व सुखद दिन रहा। अब शायद इस जन्म में उस तरह का नजारा, लोगों में जोश व उमंग देखने को मिले। खैर भगवान राम की कृपा से राममंदिर के भूमि पूजन को देखने का सौभाग्य मिल रहा है। अगर कोरोना को लेकर पाबंदी न होती तो वह अयोध्या में रहते। पुरानी यादों को ताजा करते हुए कारसेवक आचार्य चंद्रकिशोर पराशर कहते हैं कि 30 नवंबर 1992 को अपनी टोली के साथ अयोध्या पहुंच गया था। सरयुग नदी किनारे बने शिविर में पड़ाव डाला। वहां कारसेवा को लेकर विशेष प्रशिक्षण चल रहा था। ठहरे लोगों को परिचय पत्र दिया गया था। प्रशिक्षण में बताया जा रहा था कि किस तरह से कारसेवा में शामिल होना है। पांच दिसंबर की रात में राम जन्मभूमि पर पहुंचने की बेचैनी मन में रही। सुबह जगने के बाद पूजा-पाठ ध्यान करने के साथ शिविर में ही चाय-नाश्ता किए। रामभक्तों की टोली निकल पड़ी।

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हनुमान गढ़ी में हुआ एकत्रीकरण

चारों ओर से कारसेवकों का एकत्रीकरण हनुमान गढ़ी के पास हुआ। हर किसी के हाथ में केवल भगवा झंडा था। सभी नारा लगाते हुए आगे बढ़े। जिधर देखो, उधर केवल भगवा झंडा ही दिखता था। जयश्री राम के नारे गूंजने लगे। जनसैलाब उमड़ पड़ा। सभी की जुबान पर एक ही नारा जयश्री राम और हे रामलला हम आए हैं, मंदिर यहीं बनाएंगे...। बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का...। विवादित ढांचा के करीब मंच बना था। मंच पर राजमाता विजयराजे ङ्क्षसधिया, लालकृष्ण आडवाणी से लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े तमाम लोग थे। देखते ही देखते भीड़ विवादित ढांचा को गिराने में जुट गई। चार से पांच घंटे के अंदर पूरा ढांचा ध्वस्त हो गया। सभी लोग खुशी से झूमने लगे। शाम में अद्धसैनिक बल के जवान अयोध्या खाली कराने का एलान करने लगे। बावजूद इसके कारसेवा को गए लोग वहां दो दिन रहने के बाद वापस लौटे। मुजफ्फरपुर स्टेशन से धर्मशाला चौक पर पहुंचे। विजय जुलूस निकला। पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जेल गए। अभी मुकदमा चल रहा है।

सनातन समाज के लिए ऐतिहासिक दिन

आचार्य पराशर कहते हैं कि मेरे लिए ही नहीं पूरे सनातन समाज के लिए पांच अगस्त का दिन ऐतिहासिक होगा। जब नींव पड़ेगी उस समय किसी मंदिर में रामधुन का आयोजन कर उसमें शामिल होंगे। शाम में दीपावली मनेगी और मंदिर बनने की खुशी में आतिशबाजी होगी।


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