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Happy Father's Day 2020: बड़े से बड़े संकट में भी बच्चों के लिए ढाल बन उबार लेते पिता

Happy Fathers Day 2020 जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता फादर्स डे। पिता के प्रति आभार जताने के लिए विशेष दिन।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 08:28 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 08:28 AM (IST)
Happy Father's Day 2020: बड़े से बड़े संकट में भी बच्चों के लिए ढाल बन उबार लेते पिता
Happy Father's Day 2020: बड़े से बड़े संकट में भी बच्चों के लिए ढाल बन उबार लेते पिता

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Happy Father's Day 2020: पिता एक ऐसी शख्सियत हैं जो बच्चे की अंगुली थाम अच्छाई व बुराई का बोध कराते हैं। अगर कोई संकट आए तो ढाल बनकर उनके सामने खड़े हो जाते हैं। खुद कम संसाधन और अपनी जरूरतों से समझौता कर उनकी ख्वाहिश के लिए हमेशा संघर्ष करने वाले पिता का बच्चों के जीवन में अहम स्थान होता है। ऐसे तो पिता के ऋण से संतान कभी उभर नहीं पाती, लेकिन उनके प्रति आभार व सम्मान जताने के लिए जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे का दिन उन्हें समर्पित होता है। पिता भी बच्चों की खुशियां देख आहलादित हो उठते हैं। हर पिता की इच्छा होती है कि उनका नाम संतान के नाम से जाना जाए।

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पापा हमेशा कहते पैसों से बड़ा होता सम्मान

डेंटिस्ट डॉ.राहुल कुमार बताते हैं कि पिता ने समझाया कि पैसा से बड़ी इज्जत होती है। पैसा समय के साथ बढ़ सकता है, लेकिन सम्मान एक बार समाप्त हो जाए तो वह लौट नहीं सकता। उनके पिता एनआरसी ऑफ लीची मुजफ्फरपुर में सीनियर वैज्ञानिक थे। बताया कि उनपर भले ही कुछ बीते पर हमें कभी दुखी नहीं रहने दिया। जरा सा मायूस होने पर पापा परेशान हो उठते। हमेशा कहते कि थोड़ा कम पैसा हो, लेकिन गलत तरीके से उसे अर्जित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। बड़ी से बड़ी गलती भी क्यों न हो? पिताजी कुछ देर गुस्सा करते फिर माफ कर देते। बच्चों के लिए ही मेहनत करते और उन्हें हर सुविधाएं देना चाहते हैं जो उन्हेंं भी कभी नहीं मिलीं। कई बार छोटी सी तनख्वाह में भी संतान को अच्छी शिक्षा देने के लिए पिता कर्ज में भी डूब जाते हैं, लेकिन उनके सामने कभी कोई परेशानी जाहिर नहीं करते। शायद इसीलिए पिता दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।

पापा की बातों से आज भी मिलती ऊर्जा

एमडीडीएम कॉलेज में बीएड विभाग की अध्यक्ष डॉ.मौसमी चौधरी बताती हैं कि शुरुआती शिक्षा-दीक्षा देवघर में हुई। वहां पढ़ाई के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे। पापा ने बेटियों के लिए देवघर से अपना तबादला पटना करा लिया। पापा स्व.शेखर चौधरी बिजली विभाग में लेखा अधिकारी थे। बेटियों की परवरिश के लिए पटना पहुंचे। वह हमेशा चाहते थे कि हम लोगों को किसी चीज की कमी नहीं रहे। हमेशा कहते कि अंधेरा के बाद उजाला आएगा। इसीलिए जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए और हारकर बैठना नहीं चाहिए। जब भी निराश होती हूं तो पापा की इन बातों से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। पिता हमेशा चाहते हैं कि उनकी संतान सुखी रहे भले ही वह कितने भी दुख सहन करें।  


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