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Sitamarhi : सीता माता की धरती पर मातृ शक्ति का बोलबाला, आधी से अधिक हो गई आबादी

Womens Day समाज में आए बदलाव की झलक दिखा रहा सीतामढ़ी बेटियां पढ़ रहीं बेटियां बढ़ रहीं 1000 पुरुषों पर 1209 लड़कियां मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा में लड़कों से अधिक लड़कियां लिगानुपात में तो आधी आबादी ने बिहार के तमाम जिलों के लिए मिसाल पेश की है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 04:08 PM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 04:08 PM (IST)
Sitamarhi : सीता माता की धरती पर मातृ शक्ति का बोलबाला, आधी से अधिक हो गई आबादी
सीतामढ़ी में 1000 पुरुषों पर उनकी संख्या 1209 हो गई है। प्रतीकात्मक तस्वीर

सीतामढ़ी [ मुकेश कुमार 'अमन' ]। सीता माता की धरती पर मातृ शक्ति का हर क्षेत्र में बोलबाला है। आधी आबादी कही जाने वाली महिलाएं अब तदाद में पुरुषों से आगे निकल चुकी हैं। 1000 पुरुषों पर उनकी संख्या 1209 हो गई है। आत्मनिर्भता की बात हो या संघर्ष की बदलौलत मिसाल कायम करने की बात, जागरूकता की बात हो या पुरुषों से बराबरी की बात हर क्षेत्र में महिलाएं अपना दबदबा दिखा रही हैं। सीतामढ़ी के हर विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों से अधिक महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा है। लिगानुपात में तो आधी आबादी ने बिहार के तमाम जिलों के लिए मिसाल पेश की है। हाल में संपन्न हुई मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी लड़कों से अधिक लड़कियों की संख्या रही। मैट्रिक में लड़कियों की संख्या 24293 है तो छात्र 22964 थे। सीतामढ़ी सदर में 12 केंद्रों पर सिर्फ लड़कियों ने ही परीक्षा दी। इंटरमीडिएट की परीक्षा में 14255 लड़के थे तो लड़कियां 14761 रहीं।

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वक्त बदला तो सामने आई खूबसूरत तस्वीर

लड़कियों की रोल मॉडल रुन्नीसैदपुर के गाढ़ा गांव की अभिनेत्री व मॉडल नेहा राठौर, अथरी गांव की प्रतिभा प्रिया उर्फ शिल्पी, बथनाहा की सामाजिक कार्यकर्ता स्वाति मिश्रा, मशरुम गर्ल अनुपम झा ने कहा कि लिगानुपात बढ़ने से आधी आबादी का सही मायने में सशक्तीकरण होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के बीच आधी आबादी की बढ़ती तदाद से हर कोई खुश नजर आ रहा है। लोगों का कहना है कि एक समय कोख में कई बेटियां मार दी जाती थीं, अब परिस्थितियों ने करवट ली है। न सिर्फ बेटियों के प्रति समाज में स्वीकृति बढ़ी है बल्कि, बेटियां पढ़ भी रही हैं और आगे बढ़ भी रही हैं। यह भी बता रहा है कि थोड़े से प्रयास और किए जाएं तो तस्वीर बदल सकती है। एसएलके कॉलेज की प्राचार्य डॉ. ममता सिन्हा, गोयनका कॉलेज की प्रोफेसर कृतिका वर्मा, प्रो. शालिनी सिंह, प्रो. श्याम किशोर सिंह, प्रो. देवेंद्र प्रताप तिवारी, प्रो. ललन कुमार राय ने कहा कि निश्चय ही यह समाज में आए बदलाव की झलक है।


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