सीतामढ़ी जिले में मैट्रिक परीक्षा में इस बार भी लड़कों से अधिक लड़कियां
15 फरवरी से जिले के 50 केंद्रों पर मैट्रिक परीक्षा सीतामढ़ी सदर क्षेत्र में 21 पुपरी अनुमंडल में 20 तो बेलसंड अनुमंडल में नौ केंद्र सीतामढ़ी सदर अनुमंडल क्षेत्र की अगर बात करें तो लड़कियों की संख्या लड़कों से इस बार भी लगभग दोगुनी।
सीतामढ़ी़ {मुकेश कुमार 'अमन'}। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक बोर्ड परीक्षा देनेवालों की तदाद में इस बार भी बेटियां बेटों से काफी अधिक हैं। इससे साफ है कि मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा तक लड़कों की या तो पढ़ाई छूट जा रही है या लड़कियों की संख्या उनसे अधिक हैं। इस बार कुल 49468 लड़के-लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा दे रहे हैं जिनमें 25162 लड़कियां शामिल हैं। इस प्रकार लड़कों की तुलना में 856 अधिक लड़कियां परीक्षा दे रही हैं। गौर करनेवाली बात यह है कि सीतामढ़ी सदर अनुमंडल क्षेत्र की अगर बात करें तो लड़कियों की संख्या लड़कों से मैट्रिक परीक्षा में इस बार भी लगभग दोगुनी है।
कुल 49468 परीक्षार्थियों में अकेले 25162 लड़कियां हैं। वहीं पुपरी में जहां 1127 अधिक लड़कियां हैं तो बेलसंड में कोई तुलना ही नहीं है। वहां पर लड़़कियों से लड़कों की संख्या पांच गुना से भी अधिक है। तीन अनुमंडल वाले सीतामढ़ी जिले में मैट्रिक परीक्षा देनेवाले लड़के-लड़कियों की संख्या के अनुपात में इतना अंतर समझ से परे है। वर्ष 2021 में भी यहीं हाल देखा गया। कुल 47257 विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या 24293 थीं तो लड़के मात्र 22964 थे। सिर्फ मैट्रिक परीक्षा ही नहीं इंटरमीडिएट परीक्षा में भी यहीं स्थिति देखने को मिली। वर्ष 2021 में इंटरमीडिएट परीक्षा में कुल 29,116 परीक्षार्थियों में 14,355 छात्र थे तो छात्राओं की संख्या 14,761 रहीं।
इस वर्ष 15 फरवरी से जिले के 50 केंद्रों पर परीक्षा होनी है। सीतामढ़ी सदर अनुमंडल क्षेत्र में 21, पुपरी अनुमंडल में 20 तो बेलसंड अनुमंडल में नौ केंद्र हैं। जिनमें कुल 49468 परीक्षार्थी शामिल होंगे। परीक्षार्थियों में 24306 छात्र और 25162 छात्रा शामिल हैं।
अनुमंडलवार परीक्षार्थियों की संख्या
अनुमंडल छात्र छात्रा कुल
सीतामढ़ी 7811 15852 23663
पुपरी 8958 7831 16789
बेलसंड 7537 1479 9016
कुल 24306 25162 49468
वक्त बदला तो सामने आई खूबसूरत तस्वीर
सीता माता की धरती पर मातृ शक्ति का हर क्षेत्र में बोलबाला है। आधी आबादी की तदाद पुरुषों से ज्यादा है। 1000 पुरुषों पर उनकी संख्या 1209 हो गई है। विधानसभा चुनाव हो या हाल ही संपन्न हुआ पंचायत चुनाव सब में पुरुषों से अधिक महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा। लिगानुपात में आधी आबादी ने बिहार के तमाम जिलों के लिए मिसाल पेश की है।
आरएसएस महिला कालेज की एचओडी डा.अर्पणा कुमारी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान हो बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साइकिल योजना या मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना इससे भी बेटियों को बड़ा संबल मिला है। एक समय कोख में मार दी जानेवाली बेटियां अब पल रही हैं, आगे बढ़ रही हैं। परिस्थितियों ने करवट ली है। न सिर्फ बेटियों के प्रति समाज में स्वीकृति बढ़ी है। थोड़े से प्रयास और किए जाएं तो तस्वीर बदल सकती है।
मैट्रिक-इंटरमीडिएट में लड़कियों की संख्या अधिक होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि उत्तीर्ण होनेवाली बेटियों को सरकार प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण होनेवालों को मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के तहत 10 हजार से 25 हजार रुपये मिल रहे हैं। इसलिए भी बेटियों में प्रतिद्वंदिता की भावना आई है और माता-पिता उनको पढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।