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सहेलियों ने मारे ताने तो प्रेमबाला ने खुले में शौच के खिलाफ छेड़ दी जंग

खुले में शौच नहीं जाने के लिए लोगों को जागरूक करती हैं प्रेमबाला। उनकी मुहिम के चलते करीब 80 फीसद घरों में शौचालय बन गए।

By Edited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 11:38 AM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 06:42 PM (IST)
सहेलियों ने मारे ताने तो प्रेमबाला ने खुले में शौच के खिलाफ छेड़ दी जंग
सहेलियों ने मारे ताने तो प्रेमबाला ने खुले में शौच के खिलाफ छेड़ दी जंग
मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। यूपी से आई सहेलियों ने ताना मारा तो पश्चिमी चंपारण जिले के ठकराहां प्रखंड की जगीरहा पंचायत निवासी प्रेमबाला ने खुले में शौच के खिलाफ जंग छेड़ दी। तकरीबन छह माह से गांव की युवतियों के साथ मुहिम चला रही हैं। विद्यालय से लौटने के बाद खाली समय साइकिल से गांवों का भ्रमण कर लोगों को शौचालय की उपयोगिता बताती हैं। खुले में शौच नहीं जाने के लिए जागरूक करती हैं। उनकी मुहिम के चलते सात पंचायतों का यह प्रखंड खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्त होने की ओर है। 
80 फीसद घरों में शौचालय बने
 करीब 80 फीसद घरों में शौचालय बन गए हैं। प्रखंड को 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के उपलक्ष्य में ओडीएफ (खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्त) घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। यूपी के तमकुहीरोड स्थित अंबिका नवोदय विद्यालय में 12वीं की छात्रा प्रेमबाला तकरीबन छह माह पहले सहेलियों को परिजनों से मिलाने गांव लेकर आई। तब सड़क किनारे गंदगी देख सहेलियों ने ताना मारा। इस पर पिता जलेश्वर यादव से जिद कर प्रेमबाला ने पहले घर में शौचालय बनवाया, इसके बाद प्रखंड को खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्त कराने की ठान ली।
शौचालय के लिए गड्ढा खोदने में करती मदद
 पूनम, राधिका व सुषमा जैसी सहेलियों के साथ गांव-गांव जाकर जागरूकता फैलाना शुरू किया। उसके प्रयास से इसे लेकर नुक्कड़ नाटक और सभा का आयोजन होने लगा। प्रेमबाला लोगों को शौचालय का फायदा व खुले में शौच से होने वाले नुकसान की जानकारी देती है। सहेलियों के साथ गड्ढा खोदने में गांव वालों की मदद भी करती हैं। जागरूकता अभियान के कारण प्रेमबाला की पढ़ाई कभी बाधित नहीं हुई, हां समाज की सोच जरूर बदल गई। वार्ड 10 के सदस्य सह वार्ड सदस्य संघ के प्रखंड अध्यक्ष विनोद यादव बताते हैं कि प्रेमबाला धुन की पक्की हैं। उसकी सोच से आज अधिकतर घरो में शौचालय बन चुका है। बीडीओ, ठकराहां सन्नी सौरभ कहते हैं, प्रेमबाला व उसकी सहेलियों की प्रेरणा से भेड़िहारी टोला गांव ओडीएफ होने की कगार पर है। बेटियां यदि ठान लें तो कोई काम मुश्किल नहीं। नारी शिक्षा का महत्व समाज को अब समझ आया है।

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