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यदि मांगलिक कार्य करने या कराने की सोच रहे तो आपके लिए खास है यह जानकारी Muzaffarpur News

आठ को देवोत्थान एकादशी। मांगलिक कार्यों से हटेगी बाधा। इसके बाद विगत चार माह से बंद पड़े शादी मुंडन संस्कार नामकरण आदि मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 02:44 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 02:44 PM (IST)
यदि मांगलिक कार्य करने या कराने की सोच रहे तो आपके लिए खास है यह जानकारी Muzaffarpur News
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मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान अथवा प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी शेष शय्या पर योगनिद्रा से जाग जाते हैं। इसके बाद विगत चार माह से बंद पड़े शादी, मुंडन संस्कार, नामकरण संस्कार आदि सभी मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। इस बार यह 8 नवंबर को पड़ रहा है।

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उमेश नगर, जीरामाइल के नीरज बाबू बताते हैं कि आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुरूप यह विश्वास किया जाता है कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की हरिशयन एकादशी को भगवान विष्णु विश्राम में चले जाते हैं। इसके बाद वे प्रबोधिनी एकादशी को जागृत होते हैं। वास्तव में भगवान के सोने और उनके जगने का संबंध सूर्य वंदना से है।

आज भी सृष्टि की क्रियाशीलता सूर्य पर निर्भर है और हमारी दैनिक व्यवस्थाएं सूर्योदय से निर्धारित होती हैं। प्रकाश पुंज होने के नाते सूर्य देवता को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। इसलिए देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु सूर्य के रूप में पूजे जाते हैं। यह प्रकाश और ज्ञान की पूजा है।

राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं.रवि झा बताते हैं कि वास्तव में प्रबोधिनी एकादशी भगवान के उसी विश्व स्वरूप की आराधना है, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिव्य दृष्टि प्रदान करने के बाद दिखाया था। यह परमात्मा के अखंड तेजोमय स्वरूप की आराधना है। यह समस्त मंगल कार्यों की शुरुआत का दिन माना जाता है।

फिर गूंजेगी शहनाई

शादियों पर लगी रोक आगामी 8 नवंबर को देवोत्थान एकादशी से हट जाएगी। विवाह मुहूर्त 12 दिसंबर तक रहेंगे। इस वर्ष कुल 12 दिन और शहनाई की गूंज सुनाई देगी। उसके बाद अगले वर्ष 17 जनवरी से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। 


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