वीटीआर के जंगलों में लगेगी आग तो देहरादून में बजेगा अलार्म
अगलगी की घटनाओं पर रोक के लिए वन विभाग ने की पहल। जीपीएस सिस्टम से लैस फायर वाचर करेंगे जंगल की निगरानी।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के जंगलों को आग से बचाने के लिए वनकर्मियों को जीपीएस सिस्टम से लैस किया गया है। यह सिस्टम गश्त एवं आग की सूचना के लिए विशेष उपयोगी है। आग पर काबू पाने के लिए सेटेलाइट की मदद ली जा रही है। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के जंगलों में आग लगने की स्थिति में वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में अलार्म बजने लगेगा।
वहां से संबंधित वन क्षेत्रों को अगलगी की सूचना भेज दी जाएगी। वनपाल सतेन्द्र सिन्हा ने बताया कि वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के जंगलों को आग से बचाने के लिए विभाग ने जंगली भूभाग को छोटे-छोटे भागों में बांट कर फायर लाइन तैयार करने का निर्णय लिया है। कंट्रोल फायङ्क्षरग के तहत जंगल के मध्य पेड़ से गिरे पत्तों को एक जगह इकठ्ठा कर जलाया जा रहा है। इससे अगलगी की घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी।
वाल्मीकि नगर रेंज में तीन बीट है। प्रत्येक बीट में पांच- पांच फायर वाचर को तैनात किया गया है। फायर वाचर के साथ साथ जंगल व जानवरों की सुरक्षा के लिए तैनात टीटी/पीटी एवं शिकार नियंत्रण कक्ष के वन कर्मियों की जिम्मेवारी आग पर नियंत्रण करने की है। आग सूखे पेड़ों को भी जला देती है। इस पर काबू पाने के लिए प्रत्येक वन खंडो के लिए एक-एक गटोर मशीन उपलब्ध कराई गई है।
ज्ञातव्य है कि गर्मी में टाईगर रिजर्व के जंगलों में अगलगी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे वन एवं वन्य जीवों की बड़े पैमाने पर क्षति होती है। वन्य जीव नेपाल पलायन कर जाते हैं। कभी-कभी ये आवासीय इलाके में भी पहुंच जाते हैं। इससे नुकसान की आशंका बढ़ जाती है। आग से इनकी असमय मौत हो जाती है।