पूर्वी चंपारण में पति-पत्नी की अनूठी, घर की छत पर उगा रहे सेब, आम व मोसंबी
East Champaran news छत पर बागवानी कर दूसरों को कर रहे हैं प्रेरित लोगों को बता रहे हैं लाभ। दंपती की बगिया में सेब कालेे अंगूर मौसमी चीकू नाशपाती आवंला सपाटू अमरूद आम जामुन शिमला मिर्च के अलावे विभिन्न प्रकार के फूल व सब्जी मिल जाएंगे।
मोतिहारी/ पूचं, {शशि भूषण कुमार}। गांव में किसान पारंपरिक खेती करते है, लेकिन गांव में तेजी से खेती की जमीन कम हो रही है। परिवार बढऩे के साथ बंटवारे की वजह से जोत छोटी होती जा रही है। शहर में खेती के लिए जमीन तो न के बराबर बची है, लेकिन फल व सब्जियों की मांग में कोई कमी नहीं हुई है बल्कि बढ़ती जा रही है। इसको लेकर शहर में भूमि के अभाव में लोग अपने घर के छतों पर अपनी पसंद की खेती करने लगे है। शहर के एमएस कॉलेज गेट चांदमारी निवासी सचिन कुमार अंशू व उनकी पत्नी अनिशा कुमारी घर के छत पर बीते दस सालों से मनचाहे फल, सब्जी व फूल उगा अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। साथ ही आसपास व सगे-संबंधियों को इसके लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।
इनकी बगिया में सेब, अंगूर (काला), मोसंबी, चीकू, नाशपाती, आवंला, सपाटू, अमरूद, आम, जामुन, शिमला मिर्च सहित विभिन्न प्रकार के फल, फूल व सब्जी मिल जाएंगे। सचिन बताते है कि वे जहां जाते हैं, नई भेराईटी का पौधा लाते हैं और उसे अपनी बगिया में लगाकर सींचने में जुट जाते हैं। इस कार्य में उनकी पत्नी सहित माता वीणा श्रीवास्तव व पिता अभय कुमार श्रीवास्तव का भी भरपूर सहयोग मिलता है। सचिन के घर से बाहर रहने पर परिवार के सदस्य बगिया की देखभाल करते हैं। सचिन बताते हैं कि उनके पिता भी जब कहीं जाते है और कोई मनचाहा पौधा दिख जाता है तो वे उसे सुरक्षित घर लाकर बगिया में स्थान देने का काम करते हैं।
छत पर बागवानी के लिए सरकार दे रही अनुदान
शहरी आबादी को सब्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए छत पर बागवानी को सरकार बढ़ावा दे रही है। जिससे शहरी क्षेत्र की आबादी को बिना किसी रुकावट कम दामों पर जैविक सब्जी मिल सके। इसके लिए बिहार सरकार राज्य में छत पर बागवानी योजना चला रही है। इसके तहत शहरी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए छत पर बागवानी करने के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है। यह योजना पिछले दो-ढाई वर्षों से संचालित है, लेकिन इसका बेहतर प्रचार-प्रसार नहीं होने से लोग इस योजना के लाभ से वंचित हैं। हालांकि इस योजना के लिए जिले का ना तो कोई लक्ष्य दिया गया है और ना ही जिले का चयन इसके लिए किया गया है।
हाइड्रोपॉनिक्स विधि से छत पर कर सकते है खेती: वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र पीपराकोठी के वरीय वैज्ञानिक अरविंद कुमार सिंह बताते हैं कि छत पर खेती करने के लिए ढेर सारी मिट्टी की जरूरत नहीं होती। छत पर खेती के लिए नई तकनीक हाइड्रोपॉनिक्स विधि का इस्तेमाल कर सकते है। इस तकनीक से खेती करने के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। इसमें फल, सब्जी और फूल को पानी के माध्यम से उगाया जाता है। मिट्टी में उगाए गए फसलों के मुकाबले इनमें अधिक पोषक तत्व पाए जाते है। साथ ही पैदावार तेजी से बढ़ती है और उत्पादन भी चार से पांच गुना अधिक होती है। कहा कि इस विधि से जिले में कहीं भी छत पर खेती नहीं होती।