पेटी-बाकस लेके बांधा पर अईली, अन्न-पानी त डूब गेल, खाए पर आफत... Muzaffarpur News
छोठी कोठिया में बांध तक पहुंचा बाढ़ का पानी घर छोड़ भागे ग्रामीण। सात दिन बीतने के बाद अब तक नहीं चला राहत एवं बचाव कार्य।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बसा छोटी कोठिया गांव...जहां तक नजर जाती पानी ही पानी। विषहर स्थान के आसपास करीब 50 घर डूब गए हैं। सब्जी की खेती बर्बाद। पीडि़त बांध पर शरण लिए हुए। नाव के सहारे इस पार से उस पार पशु चारा व जलावन का इंतजाम करने की मजबूरी। राहत व बचाव टीम यहां पर तक पहुंची है। कृष्णा देवी बताती हैं, जान पर जान लेके केनाहितो पेटी-बाकस माथा पर लाद के बांधा पर अईली, अन्न डूब गेल, अब त खाए के आफत हई...। अनाज अऊर जलावन सबे के दिक्कत...। बाल-बच्चा, माल-मवेशी के लेके गुजर काट रहल छी...। ललिता कुमारी की पीड़ा कहती कि भगवान कृपा किए हुए हैं कि बारिश नहीं हो रही। अगर, उपर से पानी बरस गया तो और हालत खराब होगा। नाव खुद चलाकर इस पार से उस पार जाते हैं। मवेशी के लिए चारा व जलावन का इंतजाम कर रहे। ग्रामीणों ने बताया, इसके आगे पीरमोहम्मदपुर टोला है। वह भी टापू बना हुआ है। नाव ही गांव से आने-जाने का सहारा है। बांध के नीचे पानी लबालब है।
सामान बचाने को खरीदी नाव
मुशहरी राधानगर में बांध के नीचे का टोला पानी से घिरा हुआ है। गनौर सहनी बताते हैं कि सब कुछ डूब गया। सामान बचाने के लिए नाव खरीदनी पड़ी। घर के सामान को बांध पर पहुंचा रहे। पानी से चारों ओर तबाही ही तबाही। पिछली बार रजवाड़ा में बांध टूटा था। वहां इस बार खतरा नहीं दिख रहा। बावजूद इसके यहां पर बाढ़ से बचाव मेें पिचिंग के लिए पर्याप्त बैग भर कर रखा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि अगर बीमार हुए तो भगवान ही मालिक। यहां पर राहत शिविर या चलंत शिविर नहीं रहने से परेशानी है। इसके पहले जब भी बाढ़ आई, व्यवस्था थी। इस बार वैसा कुछ नहीं दिखा।