बच्चों को कैसे दें फल, राशि पड़ रही कम
मध्याह्न भोजन के साथ फल देना अनिवार्य। प्रत्येक बुधवार एवं शनिवार को बच्चों को देना है मौसमी फल।
मुजफ्फरपुर। मध्याह्न भोजन के साथ फल देना अनिवार्य। प्रत्येक बुधवार एवं शनिवार को बच्चों को देना है मौसमी फल। अधिकांश स्कूलों में बच्चों को फल नहीं दिया जा रहा है। इसके पीछे शिक्षकों की दलील है कि फल खरीदने के लिए अतिरिक्त राशि नहीं मिलती है। ऐसे में शिक्षक फल कहां से खरीदे। बीते वर्ष 2 अक्टूबर गांधी जयंती के उपलक्ष्य में बच्चों को एमडीएम के साथ फल देने की योजना शुरू की गई थी। योजना के प्रारंभ होने के साथ यह कहा गया था कि हर हाल में बच्चो को बुध और शनिवार को एमडीएम के साथ मौसमी फल निश्चित रूप से दिया जाए। लेकिन अतिरिक्त आवंटन प्राप्त नहीं होने के कारण योजना निष्प्रभावी हो गई है। कुछ विद्यालयों में मजबूरन बच्चों को फल दिया जाता है, लेकिन एक फल के दो हिस्से कर। शिक्षक बताते हैं कि एमडीएम के मद में प्रत्येक बच्चे के लिए 4.13 रुपये विभाग की ओर से मिलता है। इस राशि में ही दाल, तेल, सब्जी, जलावन, मसाला, नमक आदि खरीदना है। अब फल भी मेनू में जोड़ दिया गया है। बाजार में सेब 120 रुपये किलो बिक रहा है। छोटे साइज का 10 सेव एक किलो में आता है। अर्थात एक सेव की कीमत 12 रुपये। अब हम कहां से बच्चों को फल खिलाए। राशि के अभाव में बाधित होता है एमडीएम :-
हालांकि कई स्कूल ऐसे हैं, जहां नियमित रूप से मध्याह्न भोजन तक नहीं बनता है। कभी खाद्यान्न तो कभी राशि की कमी के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। विभागीय अधिकारी खाद्यान्न और राशि के आवंटन की व्यवस्था तो करते हैं, लेकिन फल का नाम आते ही हाथ खड़ा कर देते हैं। कई शिक्षकों ने कहा कि एमडीएम की जांच के लिए अधिकृत एमडीएम प्रभारी से भी फल को लेकर मार्गदर्शन मांगा गया, लेकिन वे कुछ बताने को तैयार नहीं हैं।
इस बारे में मिड डे मील प्रभारी आलोक रंजन ने कहा कि सभी प्रधान शिक्षकों को हिदायत दी गई है कि प्रत्येक बुधवार एवं शनिवार को मौसमी फल निश्चित रूप से दें। इसके लिए कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं है। यह समस्या सिर्फ एक प्रखंड या जिले में नहीं, बल्कि पूरे राज्य में है। अन्य जिलों की भांति यहां के बच्चों को भी निश्चित रूप से फल दिया जाना चाहिए।