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संसाधनों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से जूझ रहा अस्पताल

मुजफ्फरपुर। सीतामढ़ी सस्ता-सुलभ व सुरक्षित चिकित्सा सेवा की उम्मीद में स्थानीय पीएचसी में खड़ी असहाय

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 03:27 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 03:27 PM (IST)
संसाधनों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से जूझ रहा अस्पताल
संसाधनों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से जूझ रहा अस्पताल

मुजफ्फरपुर। सीतामढ़ी सस्ता-सुलभ व सुरक्षित चिकित्सा सेवा की उम्मीद में स्थानीय पीएचसी में खड़ी असहाय व पीड़ितों की भीड़। धक्का-मुक्की व बदइंतजामी के बीच घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद मिलती है कुछ दवाइयां। चिकित्सकीय परामर्श के रूप में मिलते हैं कुछ विशेष टिप्स। सरकारी एक्सरे मशीन का ठेका समाप्त है। तीन महीने से मरीज एक्सरे के लिए बाजार की मशीनों पर निर्भर हैं। समय से इस्तेमाल में न लाए जाने के कारण कई महत्वपूर्ण उपकरण बर्बाद हो चुके हैं। इमरजेंसी वार्ड में ब्लड प्रेशर जांचने की मशीन भी खराब पड़ी है। जेनरेटर संचालन की जवाबदेही आउट सोर्सिंग के जिम्मे है। इस गर्मी के मौसम में बिजली के गुल होते ही अस्पताल परिसर में बेचैनी छा जाती है। अस्पतालकर्मियों की माने तो जेनरेटर का संचालन भी ऑपरेटर की मर्जी पर ही निर्भर है। गंभीर रोगियों को एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर रेफर कर अपनी जवाबदेही से मुक्ति पा जाना आम बात है। महज 24 तरह की दवाइयों से सभी प्रकार के रोगों के इलाज का दावा किया जाता है। मरीजों की अनदेखी, लापरवाही,गंदगी का अंबार तथा वार्ड में आवारा कुत्ते की मौजूदगी रुन्नीसैदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की पहचान बनी है। महिला चिकित्सक का अभाव : प्रसव से लेकर ऑपरेशन तक की जवाबदेही भी पुरुष चिकित्सकों के जिम्मे। यहां खास यह भी है कि चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को ही ऑपरेशन के दौरान मरीजों को बेहोश करने की दक्षता हासिल है। 30 बेड वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में अभी महज 10 बेड की सुविधा है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अमरनाथ गुप्ता समेत इस अस्पताल में डॉ. श्रीरमण कुमार, डॉ. पवन कुमार, डॉ. अनिल कुमार व डॉ. आरके झा की ड्यूटी लगी है। कुल 14 डॉक्टरों के स्वीकृत पद की जगह महज पांच चिकित्सक मोर्चा संभाले बैठे हैं। इनमें आयुष चिकित्सक डॉ. आरके झा की ड्यूटी उनकी मर्जी पर निर्भर है। स्थानीय लोगों की माने तो इनकी ड्यूटी साप्ताहिक है। वह भी महज हाजिरी बनाने के लिए।

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नहीं मिलता मरीजों को भोजन

मरीजों को दी जाने वाली डायट की सुविधा भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी है। इसको लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का सीधा जवाब था कि रोगियों के आगे भोजन परोसने का रिवाज इस अस्पताल में नहीं है। यह अलग है कि रोगियों के आगे परोसने जाने वाले सरकारी डायट से कुछ खास लोगों की समृद्धि रातोंरात बढ़ी है। रोगी कल्याण समिति ने डायट से संबंधित पंजी को जब्त कर इसकी गहन जांच की अनुशंसा की है। मानसून दस्तक देने लगा है। बाढ़ ग्रस्त इस इलाके में संभावित बाढ़ की तबाही के मद्देनजर चिकित्सकीय तैयारी का दावा किया जा रहा है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अमरनाथ गुप्ता का कहना था कि स्टोर में आवश्यकता के अनुरूप सभी दवाइयां मौजूद हैं। बाढ़ पूर्व तैयारी के मद्देनजर ब्ली¨चग व गमैक्सिन पाउडर की आपूर्ति नहीं की गई है।


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