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एईएस से जंग को पीआइसीयू के साथ बच्चों का अस्पताल भी जरूरी Muzaffarpur News

वर्षों से एईएस पीडि़त बच्चों की मौत को लेकर प्रधानमंत्री की ओर से संवेदना जताने से जगी आस। चिकित्सकों ने कहा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की घोषणाएं ही पूरीं हो जाए तो कायाकल्प।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 09:58 AM (IST)
एईएस से जंग को पीआइसीयू के साथ बच्चों का अस्पताल भी जरूरी Muzaffarpur News
एईएस से जंग को पीआइसीयू के साथ बच्चों का अस्पताल भी जरूरी Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, [प्रेमशंकर मिश्र]। उत्तर बिहार के मासूम पिछले कई वर्षों से एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रॉम) के शिकार हो रहे। सैकड़ों की अब तक मौत हो चुकी है। कई बच्चों की जिंदगी बची, लेकिन जीवनभर के लिए दिव्यांगता आ गई। इस वर्ष बीमारी ने विकराल रूप धारण किया। करीब 600 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए। इनमें 150 से अधिक ने दम तोड़ दिया। इतने मासूमों की मौत से चीत्कार मच गया। यह आवाज दिल्ली तक पहुंची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्षों से बच्चों की मौत को देश के लिए शर्मिंदगी बताया। मासूमों के लिए प्रधानमंत्री की चिंता ने एक आस जगा दी है। 

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उनके निर्देश पर मुजफ्फरपुर आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवद्र्धन ने यहां सौ बेड की पीआइसीयू बनाने की घोषणा की है। साथ ही बीमारी के कारण जानने के लिए हमेशा रिसर्च जारी रखने के लिए उच्चस्तरीय रिसर्च सेंटर बनाने की बात भी कही। वहीं पीडि़त बच्चों को पहली बार देखने आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छह सौ बेड के एसकेएमसीएच को ढाई हजार बेड का अस्पताल बनाने का निर्देश दिया। चालू वित्तीय वर्ष में ही नौ सौ बेड बढ़ाने की बात कही। इसके अलावा आधारभूत संरचना विकसित किया जाना है।

  प्रधानमंत्री की संवेदना एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री की घोषणा को जिले के चिकित्सक व पदाधिकारी सकारात्मक रूप से ले रहे। एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही कहते हैं जितनी घोषणाएं हुई हैं, वह भी पूरी हो जाए तो अस्पताल का कायाकल्प हो जाएगा। सौ बेड की पीआइसीयू बड़ी चीज होगी। एईएस पीडि़त ही नहीं दूसरी बीमारी के बच्चों को भी हम साल भर बचा पाएंगे। वहीं ढाई हजार बेड होने से एसकेएमसीएच में बेहतर इलाज हो सकेगा। अभी यहां क्षमता से तीन से चार गुना मरीज आते हैं। इससे सारा सिस्टम बिगड़ गया है। इस बजट से काफी उम्मीदें हैं।

  एईएस पीडि़त बच्चों का वर्षों से इलाज करने वाले एसकेएमसीएच के पूर्व शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ब्रजमोहन एक और मांग शामिल करते हैं। कहते हैं, पीआइसीयू ठीक है। मगर, जिले में बच्चों के लिए अलग से एक अस्पताल भी जरूरी है। यह अस्पताल बनेगा तो शिशु रोग विशेषज्ञ व पारा मेडिकल स्टाफ भी पर्याप्त संख्या में होंगे। इसके अलावा बच्चों की जांच से जुड़े उपकरण भी मिलेंगे। इस ओर भी सरकार का ध्यान जरूरी है।

 एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर सहनी की मानें तो लगातार रिसर्च होने से कई एजेंसियों के विशेषज्ञ यहां मौजूद रहेंगे। इससे बड़ा फर्क पड़ेगा। वहीं सौ बेड की पीआइसीयू बनेगी तो उसके हिसाब से उपकरण भी मिलेंगे। इन चीजों में बड़ी राशि की जरूरत होती है। सरकार बजट में प्रावधान कर दे तो यह आसान हो जाएगा।

ये हैं उम्मीदें

- घोषणा के अनुरूप चालू वित्तीय वर्ष में ही सौ बेड की पीआइसीयू का निर्माण

- उच्चस्तरीय रिसर्च सेंटर के लिए शीघ्र शुरू हो काम। क्योंकि, एईएस के कारण की जड़ में जाने के लिए रिसर्च जरूरी

- इस वर्ष ही एसकेएमसीएच में डेढ़ हजार बेड हो जाने से अस्पताल को मरीजों की भीड़ से मिलेगी राहत

- एसकेएमसीएच परिसर में मरीजों के परिजनों के लिए धर्मशाला का निर्माण किया जाना है।

- अस्पताल के लिए ड्रेनेज सिस्टम।  


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