यहां स्वस्थ नहीं, 'बीमार' होने की गारंटी
चाहे किसी भी सरकारी अस्पताल में चले जाएं, वहां कुछ मिले न मिले गंदगी जरूर मिल जाएगी।
मुजफ्फरपुर। चाहे किसी भी सरकारी अस्पताल में चले जाएं, वहां कुछ मिले न मिले गंदगी जरूर मिल जाएगी। जगह-जगह मेडिकल वेस्टेज और बैंडेज-पट्टी दिख जाएंगे। बदबू से शौचालय की स्थिति पता चल जाएगी। एसकेएमसीएच व सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में यही हालत है। जब कोई अधिकारी या मंत्री का आगमन होता है तो स्थिति पटरी पर लौटती दिखती है, लेकिन उनके जाते ही सबकुछ पुराने ढर्रे पर। मतलब साफ है, साफ-सफाई के नाम पर खजाने की 'सफाई' होती है और कामकाज के नाम पर अधिकारियों से लेकर मरीजों व उनके परिजन को अंधेरे में रखा जाता है।
एसकेएमसीएच
एसकेएमसीएच में सफाई की स्थिति बदतर है। अस्पताल में प्रवेश के साथ ही गंदगी के साथ सड़ांध से पाला पड़ता है। अंदर घुसते ही नाक पर रूमाल रखने की मजबूरी। अभी पिछले दिनों ही डीएम ने यहां का निरीक्षण किया था। गंदगी देख सफाई एजेंसी पर जुर्माना लगाने को कहा था।
दिखावे की वस्तु हैं अत्याधुनिक मशीनें
एसकेएमसीएच मेंसफाई के नाम पर हर माह लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। अत्याधुनिक मशीनों से लेकर मानव बल की तैनाती होती है। लेकिन, यह सब दिखावे की वस्तु है। अस्पताल परिसर की बात तो दूर अंदर वार्ड से बरामदे तक मशीनें नहीं चलतीं। धुलाई में फिनायल या ब्लीचिंग पाउडर का नियमित इस्तेमाल नहीं होता। अस्पताल के वार्डो के शौचालयों व स्नान घरों में गंदगी के कारण मरीज व परिजन जाने से कतराते हैं। बदबू के कारण वार्ड में सेंट्रल टेबुल पर कोई कर्मी दोपहर बाद नहीं बैठता।
मरीज व परिजन की पीड़ा
एसकेएमसीएच में परिजन को लेकर पहुंचे देवेंद्र राय, विनोद बैठा, मो. कलाम व राजो देवी ने कहा कि बीमारी से ठीक कराने के लिए परिजन को भर्ती कराया है, लेकिन यहां की गंदगी और बदहाल शौचालय से बीमारी और बढ़ जाएगी।
बयान
'साफ-सफाई को लेकर पत्राचार किया जाता है। आंतरिक बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया जाता है। इसके बाद भी संबंधित विभाग के अधिकारी का इस ओर ध्यान नहीं है। इसके करण यह परेशानी स्थाई बनी है।
-डॉ. सुनील कुमार शाही
उपाधीक्षक, एसकेएमसीएच सदर अस्पताल
सदर अस्पताल की स्थिति भी इससे भिन्न नहीं है। परिसर में चौतरफा गंदगी और बदबू से परेशान होते मरीज यहां की पहचान हैं। पिछले दिनों जिलाधिकारी ने सफाई एजेंसी पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। यहां इलाज करा रहे मरीज के परिजन सोहन कुमार ने बताया कि महिला वार्ड के पीछे व पुरुष वार्ड के बगल में गंदगी से बीमारी का खतरा है। अस्पताल के पीछे पसरी गंदगी मच्छरों व अन्य विषैले कीटों के लिए अनुकूल है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी साफ-सफाई की स्थिति मानक पर नहीं है। दूर-दराज के क्षेत्रों में होने के कारण इन पर अधिकारियों की भी नजर नहीं होती। वार्ड व शौचालय बदहाल होती ही हैं, पीने का पानी भी मयस्सर नहीं होता।