मुजफ्फरपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी फर्जीवाड़ा
घनश्यामपुर पंचायात में दर्जनों अयोग्य लोगों को दिया गया योजना का लाभ। लाभुकों के मिलते-जुलते नाम वाले व्यक्ति के खाते में राशि देकर लाखों का घपला।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। राई की घनश्यामपुर पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना में बृहत पैमाने पर फजीवाड़ा सामने आया है। जांच रिपोर्ट के बाद डीएम के निर्देश पर डीडीसी उज्ज्वल कुमार सिंह ने बीडीओ को प्राथमिकी का आदेश दिया है। मगर, इसके बाद भी बीडीओ ने मामले की प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई है।
सहायक परियोजना पदाधिकारी मीरा पाठक की रिपोर्ट के अनुसार पंचायत में पूर्व में इंदिरा आवास ले चुके लोगों भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दे दिया गया। वहीं कई ऐसे लोगों को भी योजना की राशि दी गई जिसके पति या पत्नी को पूर्व में इसका लाभ मिला था। इसके अलावा स्थानीय पंचायत जनप्रतिनिधियों ने अपने रिश्तेदारों को भी नियम के विरुद्ध योजना का लाभ दिया।
30 फर्जी लाभुकों के नामपर लाखों रुपये की निकासी
पंचायत में करीब 30 ऐसे लोगों के खाते से योजना की राशि की निकासी की गई जो लाभुक थे ही नहीं। ये वे लोग थे जिनका नाम लाभुकों से मिलता-जुलता है। बताया जाता है कि ग्राम आवास सहायकों ने इन लाभुकों को एक ही पूर्ण निर्मित मकान के साथ फोटो खिंचवाकर राशि निकलवा ली। तीनों किस्त के रूप में प्रति लाभुक डेढ़ लाख रुपये की फर्जी निकासी की बात कही जा रही। इस तरह सिर्फ इस तरह ही 45 लाख रुपये की फर्जी निकासी किए जाने की आशंका है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार रंजीत पासवान के खाते में इसी नाम के दूसरे व्यक्ति के खाते में योजना के तीनों किस्त की राशि दे दी गई। बताया जाता है कि फर्जी तरीके से राशि लेने वाला व्यक्ति एक पंचायत प्रतिनिधि का पति है। वहीं एक और पंचायत प्रतिनिधि के पिता को योजना का लाभ दिया गया। जबकि पूर्व में उसकी मां को इंदिरा आवास योजना का लाभ दिया जा चुका था। इस तरह के कई मामले जांच में सामने आए।
दूसरी जगह जाकर निकलवाई गई राशि
पंचायत के कई लोगों ने बताया कि उसे यहां से दूसरी जगह ले जाकर अंगूठा लगवाया गया। इसके बाद राशि की निकासी कराई गई।
बड़ी गड़बड़ी के बाद भी दबाई गई फाइल
योजना में इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद भी इसकी फाइल दबाई गई। प्रखंड स्तर पर शिकायत के बाद कार्रवाई नहीं हुई। मामला डीएम के यहां पहुंचने के बाद इसकी जांच कराई गई। इसमें फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद दोषियों पर प्राथमिकी का आदेश दिया गया। मगर, डीडीसी के आदेश के बाद भी औराई बीडीओ ने अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई। बात किए जाने पर उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर लिया।