मुजफ्फरपुर की लीची की लाली पर भारी कोरोना महामारी, किसान हलकान
लीची किसानों को जिला प्रशासन की ओर से सहयोग किया जा रहा है लेकिन कहीं-कहीं उनको स्थानीय पुलिस से समस्या हो रही है। मुजफ्फरपुर में करीब 12 हजार तो मोतिहारी में 10 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है।कोरोना के बाद अब लगातार बारिश से किसान हो रहे तबाह।
मुजफ्फरपुर, [ अमरेंद्र तिवारी]। लीची की लाली पर अब कोरोना महामारी भारी पडऩे लगी है। पिछले साल भी यही हाल था और इस बार भी कमोवेश वही स्थिति हो गई है। लीची किसानों को जिला प्रशासन की ओर से सहयोग किया जा रहा है, लेकिन कहीं-कहीं उनको स्थानीय पुलिस से समस्या हो रही है। 25 मई से पूरी गुणवत्ता वाली लीची बाजार में आ जाएगी।
मुजफ्फरपुर में 12 तो मोतिहारी में 10 हेक्टेयर में होती लीची की खेती
मुजफ्फरपुर और मोतिहारी लीची उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। मुजफ्फरपुर में करीब 12 हजार तो मोतिहारी में 10 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। इस बार भी लीची पर कोरोना की मार पड़ी है। बड़े उत्पादक बता रहे हैं कि इसकी बड़ी खेप बाहर नहीं जा पा रही है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक लाख 70 टन का होता उत्पादन, इस बार आधा ही फलन
करीब 20 हजार मुजफ्फरपुर में और मोतिहारी में करीब 15 हजार किसान लीची उत्पादन से जुड़े हैं। दोनों जिले में कुल मिलाकर करीब एक लाख 70 हजार टन का उत्पादन होता है। इस बार 50 फीसद फलन हुआ है। इसलिए नुकसान ज्यादा होने की संभावना है। शाही लीची को बाजार देने की तैयारी है। यहां से फिलहाल अलग-अलग ट्रांसपोर्ट माध्यमों से लीची भेजी जा रही है।
यहां भेजी जा रही लीची
मुजफ्फरपुर की लीची गाजीपुर, बलिया, लखनऊ, कानपुर, आगरा, दिल्ली, जयपुर, अमृतसर, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई भेजी जा रही है।
वैशाख में हो रही बारिश, लीची के लिए चाहिए गर्मी
बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा वैशाख में लगातार बारिश हो रही है। लीची के लिए गर्मी चाहिए। अगर ऐसा ही मौसम रहेगा तो नुकसान होगा। पूर्ण गुणवत्ता के साथ 25 मई को शाही लीची आ जाएगी। अभी लीची की लाली देखकर कच्ची तोड़कर बेची जा रही है। इसलिए एक-दो दिन तक धैर्य रखने की जरूरत है। फतेहपुर चैनपुर कांटी के किसान रविरंजन, रामएकबाल साह ने कहा कि पिछले साल से इस साल फलन कम है। कपरपुरा के लीची उत्पादक किसान अनिल त्रिपाठी ने बताया कि पिछली बार भी परेशानी रही इस बार भी मजदूरों को लीची लेकर जाने में कई जगह पर पुलिस परेशान कर रही है। बाहर से अभी व्यापारी नहीं आ रहे। इसको लेकर भी संकट है। यहां भी लॉकडाउन से बाजार नहीं है। इससे भी बिक्री पर प्रभाव पड़ रहा है। कपरपुरा के किसान अनिल त्रिपाठी ने कहा कि शाही लीची में जिस तरह की ग्रोथ होनी चाहिए वह नहीं हो पा रही है। मौसम ने अगर साथ दिया तो जो फल बचा है वह बेहतर होगा।