मुजफ्फरपुर स्वाधार गृह मामले में ब्रजेश ठाकुर के प्रोडक्शन वारंट पर सुनवाई 11 को
पिछली तारीख को कोर्ट ने नए सिरे से ऑनलाइन आवेदन करने का दिया था निर्देश। आवेदन में आइओ व महिला थानाध्यक्ष को ब्रजेश ठाकुर के संबंध में विस्तार से जानकारी देनी है। इसमें उसे किस केस में और कौन से कोर्ट से क्या सजा मिली। किस जेल में बंद है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बालिका गृह कांड में तिहाड़ जेल में बंद ब्रजेश ठाकुर को स्वाधार गृह मामले में न्यायिक हिरासत में लेने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी करने को लेकर 11 दिसंबर को सुनवाई होगी। पिछली तारीख को विशेष लोक अभियाजक जयमंगल प्रसाद ने विशेष एससी एसटी कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा था। तब कोर्ट ने उन्हें नए सिरे से ऑनलाइन आवेदन करने का निर्देश दिया था। इस आवेदन में आइओ व महिला थानाध्यक्ष को ब्रजेश ठाकुर के संबंध में विस्तार से जानकारी देनी है। इसमें उसे किस केस में और कौन से कोर्ट से क्या सजा मिली। वह फिलहाल किस जेल में बंद है। कोर्ट की अनुमति मिलने पर तिहाड़ जेल से ब्रजेश की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी होगी। इसके बाद ही उसके खिलाफ जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल किया जा सकता है। इससे पहले उसकी राजदारा मधु की इस मामले में पेशी हो चुकी है।
यह है मामला
ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ से संचालित कल्याणी चौक के निकट स्थित स्वाधार गृह से 11 महिलाएं व चार बच्चे गायब हैं। बालिका गृह मामला के सामने आने पर समाज कल्याण विभाग के अधिकारियोंं ने जब इसका निरीक्षण किया तो राज खुला। बाल संरक्षण इकाई के तत्कालीन सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा ने तब अज्ञात के खिलाफ महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस जांच में ब्रजेश ठाकुर व मधु सहित अन्य की संलिप्तता सामने आई थी। इसमें ब्रजेश आरोपित है।
आँटो टिपर खरीद घोटला के आरोपित तीन इंजीनियरों की जमानत अर्जी खारिज
मुजफ्फरपुर : नगर निगम की ऑटो टिपर खरीद घोटाला के आरोपित तीन इंजीनियरों ङ्क्षबदा ङ्क्षसह, नंद किशोर ओझा व मो.क्यामुद्दीन अंसारी की जमानत अर्जी विशेष न्यायालय निगरानी ने खारिज कर दी है। तीनों की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक अरुण कुमार चौधरी ने जमकर विरोध किया। इस मामले में महापौर सुरेश कुमिार, जेई भरतलाल चौधरी व प्रमोद कुमार ङ्क्षसह के विरुद्ध विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है। जबकि पूर्व नगर आयुक्त रमेश रंजन प्रसाद व डॉ. रंगनाथ चौधरी व चार इंजीनियरों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की स्वीकृति उनकी सेवा से संबंधित विभागों की ओर से मिल चुकी है।