बालिका गृह कांड की सुनवाई एक ही समय दो कोर्ट में, मची ऊहापोह
मुजुफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण मामले की सुनवाई एक समय में ही दो कोर्ट में होने को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। एक ही समय में सीबीआइ और पॉक्सो कोर्ट में इसकी सुनवाई होनी है।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। बालिका गृह मामले में कानूनी प्रक्रिया ऊहापोह की स्थिति पैदा करनेवाली है। इस मामले में फिलहाल दो कोर्ट में केस चल रहा है। दोनों विशेष कोर्ट हैं। पुलिस में दर्ज मामले की सुनवाई विशेष पॉक्सो कोर्ट में चल रही है तो सीबीआइ की ओर से दर्ज केस विशेष सीबीआइ कोर्ट में है।
हालांकि, सीबीआइ कोर्ट में फिलहाल इस मामले की प्राथमिकी ही सौंपी गई है। इस केस को दर्ज किए सीबीआइ को 12 दिन हो गए, लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि आगे किस कोर्ट में इसकी सुनवाई होगी।
कानूनविदों की राय में यह कानूनी दृष्टिकोण से सही नहीं है। एक मामले की दो कोर्ट में एक ही समय समांतर सुनवाई नहीं हो सकती। इससे कई तरह की कानूनी अड़चने पैदा हो सकती हैं। फौजदारी मामले के वरीय अधिवक्ता शरद सिन्हा के अनुसार पीडि़ता के नाबालिग होने के कारण मामले की सुनवाई विशेष पॉक्सो कोर्ट में आया।
यह कोर्ट सरकार की ओर से अधिसूचित है। बाद में सरकार ने अधिसूचना जारी कर इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी है। सीबीआइ इस मामले की जांच भी शुरू कर दी है। इधर, विशेष पॉक्सो कोर्ट में पुलिस जांच में चार्जशीटेड आरोपितों की पेशी कराई गई है। ऐसे में सुनवाई समांतर होती दिख रही है। यह असहज स्थिति है।
इस संबंध में कानून एकदम स्पष्ट है। बाद की अधिसूचना को प्रभावी माना जाता है। ऐसे में मामले की सुनवाई सीबीआइ कोर्ट में ही चलनी चाहिए। इसके लिए सीबीआइ या पुलिस को पहल करनी होगी। इसकी सूचना विधिवत पॉक्सो कोर्ट को देनी होगी। सीबीआइ चाहे तो इसके लिए हाईकोर्ट से भी मार्ग निर्देश ले कर आगे की कार्रवाई कर सकती है।