'अमृत पानी' से उपजा रहे सेहतमंद फसल, जानिए इस जैविक खाद की विशेषता Eastchamparan News
Amrit Pani organic compost पश्चिम चंपारण के किसान विजय नारायण राव ने बनाई अमृत पानी नामक जैविक खाद। इसके उपयोग से चुकंदर और प्याज की मिश्रित खेती।
पश्चिमी चंपारण (नरकटियागंज) प्रभात मिश्रा। खेतों में 'अमृत पानी' के उपयोग से चुकंदर और प्याज की मिश्रित खेती। इस विधि से उपजाया गया चुकंदर सेहत के लिए फायदेमंद है। शरीर में इम्यून सिस्टम को ठीक रखता है। गर्भवती यों के लिए वरदान है। प्याज की गुणवत्ता भी सामान्य से अधिक। पश्चिम चंपारण के लौरिया प्रखंड के किसान विजय नारायण राव ने ' अमृत पानी ' नामक यह जैविक खाद बनाई है।
महज एक डिसमिल खेत में 60 किलो चुकंदर और डेढ़ क्विंटल प्याज उपजा है। न्यूनतम आधा किलो से लेकर डेढ़ किलो तक का चुकंदर उपजा है। किसान में पहले चुकंदर और प्याज के बिचड़े तैयार किए। फिर नर्सरी से निकालकर रोपाई की। करीब 4 माह बाद दो बार अमृत पानी दिया। प्याज के साथ-साथ चुकंदर की अच्छी उपज से किसान उत्साहित हैं। उनका कहना है कि फसल में उपयोग की गई यह जैविक खाद सस्ती है। हर किसान अपने घर पर उपयोग के लिए बना सकता है।
चुकंदर में मिलता भरपूर पोषण
चिकित्सक राजेश कुमार ने बताया कि चुकंदर में ग्लूटामाइन नामक एमिनो एसिड होता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। यह इम्यून सिस्टम को ठीक रखता है । शरीर में खून की कमी नहीं होने देता। इसमें सोडियम, पोटैशियम , फॉस्फोरस, कैल्शियम व आयरन समेत कई विटामिन पाए जाते हैं। इसमें उपस्थित फोलिक एसिड गर्भवती के लिए फायदेमंद होता है। फिटनेस के लिए भोजन में चुकंदर का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें शून्य कोलेस्ट्रोल होता है।
आयुर्वेद के चिकित्सक डॉ एके पांडे कहते हैं कि प्याज फ्री रेडिकल्स को बनने नहीं देता। गैस्ट्रिक अल्सर से बचने में मदद करता है। इसमें एंटी एलर्जी, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीकार्सिनोजेनिक गुण भी होते हैं। भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी- सिक्स, बी कॉन्प्लेक्स और सी सहित अन्य तत्व भी होते हैं। जैविक विधि उत्पादित प्याज व अन्य फसलों की गुणवत्ता और बढ़ जाती है।
इस तरह बना सकते यह जैविक खाद
यह खाद गोबर, गुड़ , गोमूत्र और पानी के मिश्रण से तैयार होती है। इसके पहले एक गड्ढा खोदा जाता। उसमें गोबर, गोमूत्र और गुड़ डाला जाता। फिर पानी डालकर 8 दिनों तक सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। जीवाश्म पैदा होने पर इसका उपयोग खेतों में किया जाता है।