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Effects of air pollution : कहीं आप तो वायु प्रदूषण की वजह से नहीं हो रहे बीमार, जानें इसके लक्षण और बचने के उपायों के बारे में

Effects of air pollution सरकार व पब्लिक को जागरूक होने की जरूरत बढ़ेगी समस्या। प्रदूषण से आंख त्वचा सांस व मानसिक संबंधित हो रही परेशानी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 09:56 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 09:56 AM (IST)
Effects of air pollution : कहीं आप तो वायु प्रदूषण की वजह से नहीं हो रहे बीमार, जानें इसके लक्षण और बचने के उपायों के बारे में
Effects of air pollution : कहीं आप तो वायु प्रदूषण की वजह से नहीं हो रहे बीमार, जानें इसके लक्षण और बचने के उपायों के बारे में

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहर में शुमार मुजफ्फरपुर में आमलोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। घर से ऑफिस पहुंचते ही सिर में दर्द, एलर्जी जैसी समस्याओं से जूझना आम बात हो गई है। वरीय फिजीशियन डॉ.एके दास कहते हैं कि प्रदूषण के कारण आम लोगों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बढ़ गई है।

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प्रतिदिन उनके पास सांस की एलर्जी वाले मरीज पहुंच रहे हैं। प्रदूषण का ग्राफ बढऩे से तनाव जैसी समस्या हो रही है। इसलिए पब्लिक वाहन का इस्तेमाल ज्यादा हो, वाहन का बिना मतलब इस्तेमाल से बचें तथा तथा सड़क पर निकलते समय मास्क का उपयोग करना चाहिए। केजरीवाल अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार कहते हैं कि प्रदूषण के कारण वैसे तो सभी उम्र के लोग परेशान हैं। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग व बच्चों को हो रही है। पीक्यूएलआइ यानी फिजिकल क्वालिटी ऑफ लाइफ इंडेक्स में अपना शहर बहुत पीछे है। पीक्यूएलआइ के लिए सरकार व समाज के सारे लोगों को पहल करनी होगी। हरियाली को बढऩा, सप्ताह मेें एक दिन वाहन का प्रयोग नहीं कर साइकिल से निकलें, कचरा का सही डिस्पोजल हो, सरकार व सामाजिक संगठन की ओर से नियमित जागरूकता अभियान चलना चाहिए। हर आदमी अपने आसपास सफाई रखे तथा पौधरोपण करे।

समाहरणालय परिसर में लगा यंत्र

समाहरणालय परिसर मेंं प्रदूषण मापक यंत्र लगाया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में इसका संचालन हो रहा है। ऑनलाइन निगरानी राज्य मुख्यालय की ओर से की जाती है।

विशेषज्ञों की राय में ये होते शुरूआती लक्षण व ऐसे करें बचाव

- प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के शुरूआती लक्षण जैसे नाक मेें काला जमा होना,चेहरे तथा शरीर का वह भाग जो कपड़े से ढका नहीं हो उसका काला हो जाना, त्वचा का एलर्जी होना, सांस की एलर्जी की शुरूआत यानी बार-बार छींक आना, नाक से पानी आना, आंख लाल हो जाना, आंख से पानी आना, दम फूलना, दमा का अटैक होना आदि है। इसके साथ व्यवहार में परिवर्तन यानी जल्दी गुस्सा आना, तनाव में रहना, अनिद्रा हो जाना आदि परेशानी होती है।

बचाव के लिए क्या करना

- अपने घर या आसपास पैदल या साइकिल से जाएं। बिना जरूरत वाहन का प्रयोग नहीं करें

- पब्लिक परिवहन का प्रयोग यानी ट्रेन या बस का प्रयोग करना, कार पुलिंग कराना यानी एक साथ चार या पांच आदमी कार्यालय या अन्य जगह जाएं

- जाम में फंसे हो तो बाइक व चार पहिया को बंद कर देना यानी बिना वजह इंजन चालू न रहे यह ध्यान दें

- धुआं उत्पन्न करने वाले ईंधन लकड़ी, कोयला, गोइठा का इस्तेमाल नहीं करना, खेत में भूसा को नहीं जलाना, प्लास्टिक को नहीं जलाना चाहिए

- सरकार को चाहिए कि वह सीएनजी वाहन को इस्तेमाल को मान्यता दे, औद्योगिक इकाईयों के प्रदूषण की नियमित जांच व उसका मानक तय हो उसकी निगरानी हो

- अपने घर का कचरा इधर-उधर नहीं डालें, सही तरीके से उसका डिस्पोजल होना चाहिए

- सड़क पर धूल न उड़े इसके लिए पानी का छिड़काव, भवन बनाते समय उसका धूलकण न उड़े इसका बंदोबस्त होना चाहिए

- शहरी इलाके में नगर निगम नाले का कचरा निकालकर सड़क न छोड़ें तुरंत डिस्पोजल होना चाहिए

- सप्ताह में एक दिन वाहन का प्रयोग नहीं करे इसके लिए सरकार की ओर से सख्ती होनी चाहिए  


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