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समस्तीपुर में कड़ाके की ठंड गेहूं की फसलों के लिए बनी वरदान, किसानों को अभी और सर्दी की चाह

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं के उत्पादन के लिए ठंड व शीतलहरी का होना आवश्यक है। गेहूं जाड़े का फसल है और इसके लिए न्यूनतम आठ डिग्री सेल्सियस तापमान का होना आवश्यक है। मौसम का अगर यही हाल रहा तो गेहूं का उत्पादन बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।

By Murari KumarEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 12:51 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 12:51 PM (IST)
समस्तीपुर में कड़ाके की ठंड गेहूं की फसलों के लिए बनी वरदान, किसानों को अभी और सर्दी की चाह
समस्तीपुर। गेंहू की फसल को देखता किसान

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। कड़ाके की ठंड से गेहूं को जबरदस्त लाभ हो रहा है। मौसम में पिछले कई दिनों से पड़ रहा कोहरा गेहूं की फसल के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहा है। कोहरा पड़ने की वर्तमान गति से क्षेत्र में गेहूं की फसल अच्छी होने की संभावना बन रही है। खरीफ के मौसम में किसानों के साथ दगाबाजी करने वाली मौसम अंत में ही सही लेकिन गेहूं के फसलों में मेहरबान हो गई है। अब से दस दिन पूर्व तक मौसम गेहूं के फसलों के पूर्णत: प्रतिकूल चल रहा था, जिससे उत्पादन प्रभावित होने की संभावनाएं उत्पन्न हो गई थी। अचानक दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में मौसम ने यू टर्न लिया तो किसानों के चेहरे खिल उठे। मौसम का अगर यही हाल रहा तो गेहूं का उत्पादन बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।

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कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं के उत्पादन के लिए ठंड व शीतलहरी का होना आवश्यक है। गेहूं जाड़े का फसल है और इसके लिए न्यूनतम आठ डिग्री सेल्सियस तापमान का होना आवश्यक है। पहले गेहूं का फसल फोटो सेंसेटिव हुआ करता था, लेकिन अब नई किस्म का गेहूं तापमान सेंसेटिव होती है। पुराने किस्म के गेहूं पर तापमान का उतना असर नहीं होता था और समय बढ़ने के साथ उसमें फूल व फल लगते थे। लेकिन अब वैसी बात नहीं रह गई है। अब तापमान बढ़ने के साथ फूल व फल लगने आरंभ हो जाते हैं। परिणाम था कि कुछ दिन पूर्व तक किसान दहशत में थे। उन्हें इस बात का भय था कि कहीं तापमान में और वृद्धि हुई तो समय के पूर्व फूल व फल लगने लगेंगे तथा उत्पादन में कमी आएगी।
 फिलहाल तापमान आठ डिग्री सेल्सियस होने और अगले एक सप्ताह तक बरकरार रहने की संभावना से किसानों के होठों की मुस्कान वापस लौट गई है। इसके पूर्व धान की फसल बचाने में किसानों को काफी संघर्ष करना पड़ा था। खेतों में नमी के अभाव में किसानों ने सिंचाई के बाद गेहूं तो लगा दी लेकिन उन्हें बढ़ते तापमान का भय सता रहा था। अब जब तापमान में गिरावट हुई है तो उन्हें अपनी पूंजी वापस लौटने की संभावना नजर आने लगी है। बता दें कि गेहूं फसल का न्यूनतम तापमान 8 व अधिकतम 22 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए था। गेहूं बुआई के समय जिले का तापमान अधिकतम 29 व न्यूनतम 12 डिग्री सेल्सियस चल रहा था जो गेहूं फसल के लिए पूर्णत: प्रतिकूल था। अब जब तापमान में गिरावट आई है तो गेहूं की फसल को जर्बदस्त लाभ प्राप्त होना तय माना जा रहा है।
मौसम में बदलाव चना व मटर के लिए अमृत 
कोहरे ने किसानों के चेहरों पर खुशी ला दी है। जिले में मौसम का बदला मिजाज गेहूं के साथ ही चना और मटर आदि के अमृत बन गया है। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से जिलेभर में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। साथ ही आने वाले दिनों में सर्दी और बढ़ने की संभावना है। यह निश्चित रुप से रबी फसल के लिए फायदेमंद होगी। 
अभी और भी सर्दी की चाह है किसानों को
ठंड के लिहाज से दिसंबर की शुरुआत फीकी रही। पारा नीचे गिरने में काफी वक्त लगता रहा। जिस कारण किसानों की चिंता बढ़ने लगी थी। लेकिन फिर मौसम ने किसानों का साथ देना शुरु कर दिया। फसलों पर विपरीत असर पड़ने की आशंका ने किसानों की चिंता बढ़ा दी थी लेकिन अब फसलों की बेहतरी के लिए वातावरण अनुकूल बन रहा है जिससे किसान खुश है। ठंड अनुकूल न रह कर अधिक तापमान वाला मौसम रहने पर फसलों में कीट प्रकोप और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। किसान मौसम में और भी सर्दी की चाह रख रहे है।
सब्जी को हो रहा ठंड से नुकसान 
रबी की फसल लगाने वाले किसानों को इस मौसम ने राहत दिया है लेकिन कुछ ऐसी फसलें है जिनको लेकर किसान चिंतित है। सब्जी की फसलों को पाला नुकसान पहुंचाने की कगार पर पहुंच चुका है। आलू की फसल झुलसा रोग की चपेट में आने लगा है।

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