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हरितालिका और चौठचंद्र दो सितंबर को, पर्व को लेकर खरीदारी हुई तेज, जगह-जगह सजीं दुकानें Muzaffarpur News

दो सितंबर को सुबह करीब नौ बजे के बाद चतुर्थी तिथि लग जाती है इसलिए हरितालिका तीज और चौठचंद्र पर्व दोनों एक ही दिन होगा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 11:35 AM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 11:35 AM (IST)
हरितालिका और चौठचंद्र दो सितंबर को, पर्व को लेकर खरीदारी हुई तेज, जगह-जगह सजीं दुकानें Muzaffarpur News
हरितालिका और चौठचंद्र दो सितंबर को, पर्व को लेकर खरीदारी हुई तेज, जगह-जगह सजीं दुकानें Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की कामनाओं को लेकर किया जानेवाला हरितालिका तीज व्रत और आरोग्य प्रदायक चौठचंद्र पर्व दो सितंबर को है। बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक बताते हैं कि लोक आस्था के पर्व चौठचंद्र का महात्म्य पुराणों में भी है। व्रत रहने से व्यक्ति के रोग-व्याधि आदि सभी क्लेश दूर हो जाते हैं। व्रत में फल व दही का विशेष महत्व बताया गया है।

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 कहा जाता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बिना कोई फल लिए चंद्र दर्शन करने से दोष लगता है, इससे भगवान श्रीकृष्ण भी नहीं बच सके थे। जिस दिन चंद्रोदय के बाद चतुर्थी तिथि हो, उसी दिन यह व्रत किया जाता है। इस बार दो सितंबर को सुबह करीब नौ बजे के बाद चतुर्थी तिथि लग जाती है, इसलिए हरितालिका तीज और चौठचंद्र पर्व दोनों एक ही दिन होगा। हरिसभा चौक स्थित राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी पं. रवि झा बताते हैं कि अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत हरितालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इसको सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य और सुख की लालसा के लिए रखती हैं। वहीं, कन्याएं अपने मन के अनुरूप पति प्राप्त करने को इसे रखती हैं। 


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