ये अपनी मजदूरी के पैसे से खरीदते गरीबों के लिए खुशियां, महिलाओं के बीच बांटते साडि़यां
पटोरी के बमबहादुर गरीब महिलाओं के बीच बांटते साड़ी। मजदूरी से राशि बचा पिछले छह साल से इस कार्य में लगे।
समस्तीपुर,[दीपक प्रकाश]। मजदूरी कर घर चलाते हैं। झोपड़ी में रहते हैं। इसके बाद भी हर साल सौ से अधिक गरीब महिलाओं के बीच साड़ी बांटते हैं। इसके लिए मजदूरी से पाई-पाई जोड़ते हैं। यह काम पिछले छह वर्षों से कर रहे पटोरी प्रखंड के इस्माइलपुर गांव निवासी बमबहादुर पासवान। वह क्षेत्र के लिए लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
अभाव में पले-बढ़े बमबहादुर गरीबी के कारण हाईस्कूल में नामांकन नहीं करवा सके। घर चलाने के लिए मजदूरी करने लगे। परिवार की गरीबी से मन विचलित रहता था। उन्होंने गरीब महिलाओं के लिए कुछ करने का निर्णय लिया। वह पूरे साल मजदूरी से रकम बचाकर दशहरे के अवसर पर 100 से अधिक गरीब विधवाओं में साड़ी बांटते हैं।
बिना सहयोग दुर्गा मंदिर का निर्माण
गांव में कोई दुर्गा मंदिर नहीं होने के कारण वहां की महिलाओं को दूर जाकर देवी की पूजा करनी पड़ती थी। नवरात्र में महिलाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस पर उन्होंने दुर्गा मंदिर बनवाने का संकल्प लिया। इस्माइलपुर लगुनियां स्थित चौक पर उन्होंने भव्य दुर्गा मंदिर का निर्माण करवाया। इस कार्य में उन्हें लगभग 12 वर्ष लग गए। दो वर्ष पूर्व इसे मूर्त रूप दिया। इसके लिए किसी से पैसे नहीं लिए। मजदूरी की राशि बचाकर यह काम किया।
वस्त्र वितरण पूजा के समान
बमबहादुर के दोनों बेटे शहर में मजदूरी करते हैं। वस्त्र वितरण कार्य में पहले कभी-कभी पारिवारिक विरोध का भी सामना करना पड़ता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं। उनका कहना है कि वस्त्र वितरण उनके लिए पूजा है। इसके लिए किसी के आगे हाथ भी नहीं फैलाते।
पटोरी के समाजसेवी राजकुमार मिश्रा का कहना है कि बमबहादुर का प्रयास प्रेरणा का स्रोत है। लोगों की ऐसी सोच रही तो समाज में गरीब और मजबूर लोगों के दुख को बांटा जा सकता है। मोरवा विधायक विद्यासागर निषाद का कहना है कि बमबहादुर का त्याग और असहायों के प्रति समर्पण सराहनीय है। हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।