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Muzaffarpur: हाथ में हथकड़ी, कंधे पर मां की अर्थी और आंखों में आंसू, दुश्मन की भी न हो ऐसी किस्मत

ज‍िले के औराई में एक युवक को मां के अंतिम संस्कार में शाम‍िल होने के ल‍िए केवल दो घंटे के ल‍िए म‍िला पैरोल। मां की यादाें को दामन में समेटे रोते-बिलखते लौटा जेल। आपसी भूम‍ि विवाद में बेटे के जेल जाने के सदमे को बर्दाश्‍त नहीं कर पाई मां।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 02:24 PM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 06:40 AM (IST)
Muzaffarpur: हाथ में हथकड़ी, कंधे पर मां की अर्थी और आंखों में आंसू, दुश्मन की भी न हो ऐसी किस्मत
औपचार‍िकता पूरी होने के बाद बाद उसे रोते-बिलखते हालत में ही जेल ले जाया गया। फोटो : इंटरनेट मीड‍िया

मुजफ्फरपुर, जासं। जीवन के क‍ितने रूप हाेे सकते हैं, इसका अंदाजा करना असंभव है। औराई में हाथ में हथकड़ी, कंधे पर मां की अर्थी और आंखों में आंसू ल‍िए इस युवक को ज‍िसने भी देखा, भावुक हुए ब‍िना नहीं रह सका। अब यह तस्‍वीर इंटरनेट मीड‍िया पर वायरल हो रही है। दरअसल, औराई थाना कांड संख्या 1/21 व 97/20 के प्राथमिक अभियुक्त विस्था गांव निवासी 19 वर्षीय अमित कुमार सहनी को गुरुवार को मां के अंतिम संस्कार के लिए पुलिस की निगरानी में पैरोल पर लाया गया। औपचार‍िकता पूरी होने के बाद बाद उसे रोते-बिलखते हालत में ही जेल ले जाया गया।

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इस बारे में ग्रामीण राकेश सहनी ने बताया कि गांव में आपसी भूम‍ि विवाद को लेकर दो गुटों में मारपीट की घटना कुछ द‍िनों पहले हुई थी। मामले में दोनों पक्षों की ओर से थाने में शिकायत की गई थी। घटना एक जनवरी की बताई जा रही है। इसी मामले में पुलि‍स ने कार्रवाई करते हुए अम‍‍ित कुमार सहनी को ग‍िरफ्तार कर जेल भेज द‍िया था। वह अपनी मां का अकेला सहारा था। उसके जेल जाने के बाद से उसे कई तरह की परेशानी से दो चार होना पड़ा। व‍िरोध‍ियों के तानों से भी वह परेशान रहने लगी थीं। इस सदमे को वह झेल नहीं सकीं और उनका निधन बुधवार को हो गया। गुरुवार को कोर्ट के आदेश पर उसे पैरोल पर लाया गया था। थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि मारपीट के आरोपित अमित को कोर्ट के आदेश पर लाया गया था। उसी आदेश के अनुसार उसे फ‍िर से कारागार में भेज द‍िया गया।

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इस नौजवान को ज‍िस क‍िसी ने भी इस हाल में देखा, उसने क‍िस्‍मत को ही कोसा। कब क‍िसके साथ क्‍या खेल कर दे, कहा नहीं जा सकता। वहां मौजूद लोगों का कहना है क‍ि इस मह‍िला ने ज‍िंदा रहते हुए तो कई तरह की परेशानी से दो चार रही हीं, अब मौत के बाद भी सही से उसका अंत‍िम संस्‍कार नहीं हो पा रहा है। जेल में रहते हुए अंत‍िम क्र‍िया को करवा पाना कहां से संभव हो सकेगा?   

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