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दरभंगा : ठंड के दिनों में मिथिला भ्रमण पर आते मेहमान पक्षी और बन जाते शिकारियों के शिकार

Darbhanga News दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में ठंड के दिनों में आते हैं विदेशों से पक्षी करते हैं जल क्रीड़ा। पक्षियों के आने और यहां रहने की आदत को देखते हुए सरकार ने की अभयारण्य बनाने की घोषणा काम भी हुए पर नतीजे नहीं मिले।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 10:04 AM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 10:04 AM (IST)
दरभंगा : ठंड के दिनों में मिथिला भ्रमण पर आते मेहमान पक्षी और बन जाते शिकारियों के शिकार
शिकारियों द्वारा फंसाए गए मेहमान पक्षी (फाइल फोटो)

कुशेश्वरस्थान (दरभंगा) प्रशांत कुमार। साइबेरिया, भूटान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, मंगोलिया सरीखे देशों के पक्षी मिथिला की माटी को बेहद प्यार करते हैं। हर साल ठंड की दस्तक के साथ पक्षी दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान स्थित जल अधिग्रहण वाले इलाके में पहुंचने लगते हैं। खूब जल क्रीड़ा करते हैं। यह दृश्य देखने लायक होता है। लेकिन, शिकारी शिकारमाही से बाज नहीं आते। वो खूबसूरत पक्षियों का शिकार करते हैं और उन्हें मुंहमांगी कीमत पर बेच देते हैं।

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पक्षी अभयारण्य की घोषणा का भी लाभ नहीं

यहां के लरैल चौर, महरैला चौर और मदरिया चौर विदेशी मेहमान पक्षियों से पटा रहता है। सुबह शाम इन पक्षियों के चहचहाहट से पूरा इलाका मनभावन रहता है। यहां पक्षियों के आने-जाने के क्रम को देखते हुए वर्ष 1994 में कुशेश्वरस्थान को पक्षी अभयारण्य बनाने की घोषणा की गई। कुशेश्वरस्थान पक्षी अभयारण्य के लिए 29.21 वर्ग किलोमीटर तक भूमि लेने की भी घोषणा की गई। जिसमें मुख्य रूप से 36 राजस्व ग्राम के 3293.40 हेक्टेयर भूमि पर पक्षी अभयारण्य अवस्थित है। जानकर बताते हैं समय समय पर पक्षी अभयारण्य के लिए सरकार के द्वारा बजट भी दी जाती रही है। पर 26 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां का पक्षी अभयारण्य कागजों पर ही सिमट कर रह गया है। हद तो यह कि वन विभाग के कर्मी भी यहां अपनी मर्जी से आते हैं।

पक्षियों की शिकारमाही

विदेशी पक्षियों के आगमन के साथ ही यहां के शिकारियों की बुरी नजर इन पर बनी रहती है। पक्षियों के आते ही उनकी अवैध शिकारमाही शुरू हो जाती है। इन बेजुबान पक्षियों को यहां के शिकारियों के द्वारा या तो जहर देकर मार दिया जाता है या फिर उन्हें फंसाने के लिए तरह तरह के जाल लगाए जाते हैं। स्थानीय बाजार एवं आस पास के गांवों में अच्छे दामों पर बेचा जाता है। स्थानीय बाजारों में एक जोड़ा पक्षियों की कीमत पंद्रह सौ से दो हजार तक लगाई जाती है।

वॉच टावर पर प्रखंड का कब्जा

विदेशी पक्षियों की शिकारमाही पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। वर्ष 2003 में सुनिश्चित रोजगार योजना से ग्यारह लाख पचहत्तर हजार रुपये की लागत से वॉच टावर सह सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया। ताकि शिकारियों पर नजर रखी जा सके। लेकिन इस भवन पर प्रखंड सह अंचल मुख्यालय का अवैध कब्जा है।

समय से पहले सूख जाता पानी, हाईटेंशन तार भी खतरनाक

समय से पहले चौर के सुख जाने से विदेशी पक्षी अपना आशियाना बदलने लगे हैं। स्थानीय जानकारों की माने तो यहां विदेशी पक्षियों में कमी का एक कारण यह भी है कि पक्षी अभयारण्य के बीचोबीच हाईटेंशन बिजली का तार लगाया गया है। जिसके कारण सैकड़ों मेहमान पक्षियों की जान तार से टकराकर चली जाती है।

यहां से आते हैं पंछी

मौसम के हिसाब से कई देशों के पंछी सीमा के बंधन को तोड़ते हुए यहां आते हैं। उनमें साइवेरिया, भूटान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, मंगोलिया सहित कई देशों से मेहमान पक्षी शामिल होते हैं। जो पंछी यहां आते हैं उनमें दलमैंत, वार हेदिद, कलहंस, साइवेरियन करेन, ओरिएंटल सहित दर्जनों प्रजातियां शामिल हैं।


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