हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा कर वीटीआर पहुंचे मेहमान पक्षी
साइबेरिया, चीन व वियतनाम से पक्षियों का झुंड रघिया सहित अन्य वन क्षेत्रों में पहुंचा, विलुप्तप्राय पक्षी व्हाइट इयर्ड नाइट हेरोन की हुई पहचान।
बगहा [विभोर कुमार] । हजारों किलोमीटर की यात्रा कर साइबेरिया, चीन और वियतनाम से पक्षियों का झुंड वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में पहुंचा है। इनमें व्हाइट ईयर्ड नाइट हेरोन नामक पक्षी भी शामिल है, जिनकी संख्या विश्व में काफी कम है। विलुप्तप्राय इस पक्षी की तस्वीर वीटीआर में लगे हाई जूङ्क्षमग कैमरे में कैद हुई है। वनकर्मी इन पक्षियों की सुरक्षा को लेकर मुस्तैद हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड बढऩे के साथ विदेशी पक्षी भारत पहुंचते हैं। इनमें साइबेरियन पक्षियों की संख्या सबसे अधिक होती है।
वीटीआर के गोवर्धना, रघिया, वाल्मीकिनगर समेत अन्य वन क्षेत्रों में इन दिनों विदेशी पक्षियों का कलरव परवान पर है। लालसर, दिघवच, डमर, केशराज, अमैठा और गैरी समेत कई अन्य क्षेत्रीय नामों से जाने जाने वाले ये पक्षी आते तो अकेले हैं, लेकिन प्रवास के दौरान वंश वृद्धि करते हैं। पक्षी मुख्यत: नदी की मछली, जलीय जीव एवं आसपास के खेतों में लगे अनाज का सेवन करते हैं। इस यात्रा के क्रम में अंडे देते हैं। इससे बच्चे निकलते हैं, जो तीन-चार माह में उडऩा सीख जाते हैं। जाते समय इनका परिवार बड़ा हो जाता है। ये पक्षी फरवरी-मार्च में लौट जाते हैं।
उत्तराखंड के पक्षी वैज्ञानिक से कराई गई पहचान
चीन और वियतनाम में पाए जाने वाले व्हाइट ईयर्ड नाइट हेरोन नामक पक्षी की तस्वीर वीटीआर प्रशासन के कैमरे में कैद होने के बाद इसकी पहचान को लेकर लंबी बहस चली। फिर वल्र्ड वाइल्फ लाइफ के अधिकारियों ने पहचान की कोशिश की। बात नहीं बनी तो तस्वीर उत्तराखंड के पक्षी वैज्ञानिक तनवीर अहमद तथा पर्यावरणविद् विवेक रावत को भेजी गई। इन दोनों ने पहचान की और बताया कि यह पक्षी विलुप्त होने की ओर है। लगातार शिकार के कारण चीन और वियतनाम में इसकी संख्या एक हजार ही है। वीटीआर में इस पक्षी के दिखने के बाद अधिकारी बेहद रोमांचित हैं।
पक्षियों के संरक्षण की व्यवस्था
वन प्रमंडल संख्या एक के डीएफओ अंबरीश कुमार मल्ल के अनुसार, वीटीआर के वन क्षेत्र में हर साल करीब 20 हजार प्रवासी पक्षी आते हैं। गंडक नदी, रहुवा नाला, भपसा, कापन समेत गोवर्धना के पहाड़ी इलाके में ये पक्षी प्रवास करते हैं। पक्षियों की देखभाल के लिए वनकर्मियों की टीम तैनात की गई है। उनके भोजन और गतिविधियों पर ध्यान दिया जा रहा है। शिकारियों पर नजर रखने के लिए जगह-जगह वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।