सहजन की खेती से जीवन में हरियाली, कर रहे अच्छी-खासी आमदनी
बदलते परिवेश में परंपरागत खेती से इतर नकदी फसलों को उगाकर अ'छी आमदनी की जा सकती है। इसे साबित कर रहे हैं विघ्नेश भगत। 10 एकड़ में सहजन की हरियाली से समृद्धि की गाथा लिख रहे हैं।
मुजफ्फरपुर। बदलते परिवेश में परंपरागत खेती से इतर नकदी फसलों को उगाकर अच्छी आमदनी की जा सकती है। इसे साबित कर रहे हैं विघ्नेश भगत। 10 एकड़ में सहजन की हरियाली से समृद्धि की गाथा लिख रहे हैं। कई युवा किसान उनसे प्रेरित होकर इस राह पर चल पड़े हैं।
जिले में पहली बार व्यापक स्तर पर सहजन की खेती किसानों के लिए बेहतर आमदनी का जरिया बनी है। मधुबनी जिले के अंधराठाढी प्रखंड की शिवा पंचायत के घघोरिया गाव निवासी 46 वर्षीय विघ्नेश ने मंगरौनी गाव में लीज पर 10 एकड़ जमीन लेकर इसकी खेती शुरू की। अभी फसल के रूप में सहजन के पत्ते अन्य प्रदेशों में भेज रहे हैं। उन्हें रामबालक राय, अमित कुमार और राघवेंद्र ठाकुर का सहयोग प्राप्त हो रहा है। एक एकड़ से प्रतिवर्ष दो लाख तक की आमदनी
विघ्नेश के मुताबिक औषधीय गुणों से भरपूर सहजन की एक एकड़ खेती में करीब 75 हजार लागत आती है। पांच साल तक इसके पत्ते और डंठल से प्रतिवर्ष डेढ़ से दो लाख तक आमदनी होती है। वे कहते हैं, देश के कई हिस्सों में उन्नत किस्म के सहजन की पत्ती की बढ़ती माग को देखते हुए इसकी खेती की शुरुआत की।
विघ्नेश से प्रेरणा लेकर ठाहर गाव निवासी ललित सिंह, धनछीहा गाव निवासी श्याम कुमार यादव, संजय कुमार मंडल और कौशलेंद्र कुमार साह सहित अन्य युवा किसान इसकी खेती के लिए आगे आए हैं। किसान कपिलदेव झा कहते हैं कि सहजन की खेती पर सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए, ताकि इसके उत्पादन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ सके। सलाद के रूप में पत्ते का प्रयोग : सहजन के पत्ते, फूल और फल सभी में काफी पोषक तत्व होते हैं। इसमें प्रोटीन, लवण, लोहा, विटामिन-बी, विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके पत्ते का प्रयोग सलाद के तौर पर भी होता है। बीज से तैयार तेल खाने के साथ अन्य में उपयोगी होता है। सहजन की खेती काफी आसानी से हो जाती है। आमतौर पर सहजन सब्जी देने वाला पेड़ माना जाता रहा है। इसकेपेड़ किसानों के घर-बगीचे के अलावा सड़क किनारे देखे जा सकते हैं। इन पर वर्ष में एक से दो बार फल आते हैं। सब्जी के रूप में प्रयोग में आने वाले सहजन की माग सीजन में काफी रहती है। इसकी पत्तिया पशुओं के चारे के रूप में काफी उपयोगी मानी गई हैं। इसके सेवन से पशुओं के दूध में वृद्धि होती है।
सहायक निदेशक पौधा संरक्षण सह सहायक निदेशक उद्यान सतीशचंद्र झा कहते हैं कि वैसे तो सहजन की खेती पर सब्सिडी का कोई दिशा-निर्देश नहीं है। लेकिन, कोई किसान इसके लिए आवेदन देता है तो उसे विभाग को भेजा जाएगा। जिले में व्यापक स्तर पर उन्नत किस्म के सहजन की खेती से किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं।
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