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राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा-जीरो बजट खेती पर भारत समेत पूरी दुनिया में हो रही चिंता

पूर्वी चंपारण के पीपराकोठी में बिहार के गवर्नर लालजी टंडन ने दिया मन शरीर और आत्मा का सामंजस्य बनाकर नीतियों को आगे बढ़ाने पर जोर।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 12:41 PM (IST)
राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा-जीरो बजट खेती पर भारत समेत पूरी दुनिया में हो रही चिंता
राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा-जीरो बजट खेती पर भारत समेत पूरी दुनिया में हो रही चिंता

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि आज जीरो बजट खेती पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया सोच रही है। जैविक खेती पर पूरी दुनिया सोच रही है। लेकिन इस खेती का आधार गाय थी। आज यहां गो रक्षा को तरह-तरह से व्याखि‍त किया जा रहा है। लेकिन, अगर हम देखें तो गांधी जी की जो स्वदेशी की कल्पना थी। उसमें भी भारतीय गाय थी। वे पूर्वी चंपारण के पिपरकोठी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र केविके परिसर में मंगलवार को आयोजित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा लोकार्पण सह पशु प्रजनन उत्कृष्टता केंद्र के शिलान्यास समारोह में पशु प्रजनन उत्कृष्टता केंद्र की आधारशिला रखने व प्रतिमा अनावरण के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
 कहा कि गांधी जी जीते जी स्वदेशी थे। उस समय भी उनके चिंतन में गाय थी। उन्हें भी चिंता थी कि गाय की रक्षा जरूरी है। इसलिए उस समय गांधी भवन में जो वस्तुएं बिकती थीं, अब तो वह नहीं है। लेकिन, उस समय उनमें शामिल थे बिना चाम के जूते। गांधी जी के जीवन दर्शन में जो पहनावा और जो उपयोगी वस्तुएं थी वह स्वदेशी कैसे हो तो बिना चमड़े के जूते पहने। उसके पीछे अवधारणा क्या थी। भारतीय गाय। गाय। परिस्थितियां बदलीं। इजराइल दुनिया में मिशाल है। उसने अपनी सारी तकनीक खुद विकसित की। इसका परिणाम है कि आज वह हर क्षेत्र में अग्रणी है।
   कहा- देश के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने जो समूलता में चिंतन की विरासत अटल जी से पाई और उसे मोदी जी के नेतृत्व में जिस तरह से क्रियान्वित कर रहे हैं, वह एक चमत्कार है। वह गांधी जी के स्वदेशी आंदोलन से जुड़े राष्ट्रीय चिंतन का परिणाम है। आज जो नई तकनीक (पशु प्रजनन उत्कृष्टता केंद्र से) मिल रही है। नई आ रही है। जिसके पास भी दो चार गाय होगी। दो चार लीटर दूध देनेवाली। वहीं गाय जब चालीस लीटर दूध देगी तो उस किसान की आमदनी दोगुनी नहीं सौ गुनी नहीं दो सौ गुनी बढ़ेगी। ये हमें समझने की जरूरत है। आज अनुकूल वातावरण हैं।
    सही चिंतन है। विकास की तरफ उन्माद है और उसके लक्ष्य  पीपराकोठी में दिख रहे हैं। हमारे देश की कृषि व्यवस्था को सुधारने के लिए जो तकनीक चाहिए वह हमारे पास हो उसकी शुरुआत पीपराकोठी से हो गई है। कम से कम दूध देनेवाली गाय से ज्यादा दूध लेने के लिए यहां क्रॉस ब्रीड कराने की व्यवस्था हुई है। सारी दुनिया के सामने आज विदेशी नस्ल की गाय संकट के तौर पर उभर रही है। आज भारतीय गायों के नस्ल सुधार कर हम ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादित कर सकते हैं। 
ब्राजील की अर्थव्यवस्था में गाय का योगदान
 

राज्यपाल ने इस मौके पर मौजूद ब्राजील के प्रतिनिधि की उपस्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि ब्राजील में भारत के एक राजदूत थे। वे गुजराती थे। गो भक्त थे। वे अपने साथ गुजरात की गीर गाय कुछ संख्या में ले गए थे। मुठ्ठी भर उन गायों से ब्राजील ने आज वहां भारतीय नस्ल की गायों का संवर्धन किया है। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रयोग किए। आज वहां एक गाय 77 लीटर तक दूध देती है। आज वहां की अर्थव्यवस्था में गायों का अहम योगदान है। 
अटल के नेतृत्व में समग्रता में चिंतन की अवधारणा हुई साकार 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर याद करते हुए श्री टंडन ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था, भारतीय संस्कृति और हमारी पारंपरिक कृषि की जो विधाएं ती वो आज भी समाप्त नहीं हुईं हैं। लेकिन, उन्हें बर्बाद जरूर कर दिया गया है। कैसा संयोग है कि इस देश में उन सारी चीजों को गुलामी के बाद जब लड़ाई लड़ी जा रही थी तो गांधी जी ने देखा था। स्वदेशी की जो उनकी कल्पना थी औ्र जो ग्राम स्वराज्य और सर्वोदय की कल्पना थी, उसे इसी देश के सपूत पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एक समग्र दर्शन के रूप में दिया।
    उसका अर्थ एक समस्या दूसरी समस्या से जुड़ी होती है। आपके शरीर में मन, शरीर, आत्मा तीनों का सामंजस्य है। जबतक कोई भी नीति इन तीनों को एक साथ बैलेंस कर नहीं चल पाती तो सफल नहीं होती। पं. दीनदयाल के उतराधिकारी राजनीति में जब अटल जी बने तो समग्रता में चिंतन की अवधारणा ने आकार लिया और आज वह यहां (पीपराकोठी) दिख रहा है। 
इन्होंने किया संबोधित 
शिलान्यास समारोह को बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह, पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, बेतिया के सांसद डॉ. संजय जायसवाल, राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने संबोधित किया। 

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