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संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों से कॉपी जांच को सशर्त मंजूरी, राज्यपाल ने दे दी इजाजत

राज्यजपाल से मिलने पहुंचे थे कुलपति, प्रोवीसी और रजिस्ट्रार। 29 दिसंबर से चल रहे आंदोलन के समाप्त होने की उम्मीद जगी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 07:43 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 07:43 PM (IST)
संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों से कॉपी जांच को सशर्त मंजूरी, राज्यपाल ने दे दी इजाजत
संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों से कॉपी जांच को सशर्त मंजूरी, राज्यपाल ने दे दी इजाजत

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। संबद्ध डिग्री कॉलेज के शिक्षकों को कॉपी जांच से अलग करने का फैसला राजभवन ने वापस ले लिया है। इसी के साथ पिछले 29 दिसंबर से चल रहे आंदोलन के समाप्त होने की उम्मीद जगी है। हालांकि, उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में इन शिक्षकों की सेवा लिए जाने की सशर्त अनुमति मिली है। इन शिक्षकों द्वारा स्नातक थर्ड पार्ट का मूल्यांकन कार्य नहीं होने देकर लगातार धरना-प्रदर्शन से विश्वविद्यालय प्रशासन पसोपेश में आ गया था।

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 बुधवार को कुलपति, प्रतिकुलपति और रजिस्ट्रार तीनों एक साथ राज्यपाल सह कुलाधिपति से इस सिलसिले में मिलने पहुंचे। उनके साथ चांसलर प्रतिनिधि मयंकेश्वर सिंह व सिंडिकेट सदस्य हरेंद्र कुमार भी थे। कुलपति ने राज्यपाल से मिलकर निकलने के बाद कहा कि संबद्ध शिक्षकों की मांगें मान ली गई हैंं, मगर शर्तें भी रखी गई हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब उनका आंदोलन समाप्त हो जाना चाहिए।

 इसी के साथ गुरुवार से मूल्यांकन कार्य भी आरंभ हो जाएगा। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन पर लगी रोक तो हट गई है, मगर अनुदान देने में नैक की अनिवार्यता संबंधी फैसले पर कोई बात सामने नहीं आई है। इधर, शिक्षक संघ को कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिल सकी, जिसके चलते धरना-प्रदर्शन उन्होंने तीनों मूल्यांकन केंद्रों पर जारी रखा।

इन शर्तों के आधार पर काम लेने की अनुमति

कुलपति के मुताबिक राज्यपाल सह कुलाधिपति ने कहा है कि मूल्यांकन कार्य में इनकी सेवा लिए जाने के क्रम में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मूल्यांकन की गुणवत्ता और नियमितता किसी भी रूप में प्रभावित नहीं हो। मूल्यांकन कार्य में प्रधान परीक्षक के रूप में अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं वरीय शिक्षकों की ही सेवा लेने का निदेश मिला है।

 साथ ही, संबद्धतता प्राप्त महाविद्यालय के परीक्षक शिक्षकों द्वारा मूल्यांकित पुस्तिकाओं में से पांच फीसद पुस्तिकाओं का रैंडम परीक्षण भी अंगीभूत महाविद्यालयों के वरीय शिक्षकों से कराने को कहा गया है। इस दौरान किसी भी प्रकार की त्रुटि या अनियमितता पाए जाने पर संबंधित परीक्षक शिक्षक एवं संबंधित संबद्ध महाविद्यालय के खिलाफ आवश्यक कठोर कार्रवाई करने का कुलाधिपति ने निदेश दिया है।

फैसले की समीक्षा के बाद आंदोलन खत्म करने पर विचार

संबद्ध शिक्षकों के आंदोलन का खुद नेतृत्व कर रहे सिंडिकेट सदस्य प्रो. धनंजय कुमार सिंह, महासंघ के संयोजक धर्मेंद्र चौधरी ने कहा कि राजभवन के फैसले की मिल बैठकर समीक्षा करने के बाद गुरुवार को आंदोलन समाप्त करने पर विचार किया जाएगा। प्रो. सत्येंद्र कुमार सिंह टुनटुन, डॉ. रामविनोद शर्मा, डॉ. घनश्याम ठाकुर, प्रो. संजय चौहान, प्रो. सुनील कुमार, प्रो. सीमा कुमारी, प्रो. रागिनी कुमारी, प्रो. ललन शर्मा, डॉ. ललित किशोर, डॉ. सतीश कुमार, डॉ. कल्पना, डॉ. कौशल, डॉ. धर्मेंद्र, डॉ. प्रवीर, डॉ. अमृता मजुमदार, डॉ. विभूति भूषण, डॉ. रमण कुमार, डॉ. नेहा, डॉ. नीता, प्रो. मनोज कुमार सिंह, डॉ. कल्पना, डॉ. अश्विनी समेत बड़ी संख्या में शिक्षक मूल्यांकन केंद्रों पर धरना-प्रदर्शन करते रहे।
मैं नहीं लगता तो बात नहीं बनती : मयंकेश्वर
 राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रतिनिधि सिंडिकेट सदस्य मयंकेश्वर सिंह ने कहा है कि मैं नहीं लगता तो संबद्ध शिक्षकों की मांग पूरी नहीं हो पाती। कहा, वीसी-प्रोवीसी, रजिस्ट्रार सबको बुलाकर ले गया और बैठक कराई। गवर्नर साहब से निवेदन व प्रार्थना किया और उन्होंने अनुमति दे दी।
 इस प्रकार एक प्रतिनिधि का जो दायित्व होता है उसका ईमानदारी पूर्वक निवर्हन किया। इससे लाखों शिक्षकों का भला हुआ। उन्होंने कहा कि मैं पहल नहीं करता तो इस यूनिवर्सिटी का क्वेश्चन पेपर दूसरी जगह चेक होने चला जाता। ये शिक्षक एक तो ऐसे ही वित्त रहित हैं उपर से वह अधिकार भी छीनने वाला था।
 पीएम मोदी के सपने को साकार करने का मैंने काम किया। जिस दिन सिंडिकेट की बैठक में मैं शिरकत करने आया था तो काफी लोगों ने मिलकर मुझसे पहल की मांग की थी। उसी समय मैंने कह दिया था बहुत जल्द कुलाधिपति से मिलने का वक्त लेकर मसले को सुलझाऊंगा।


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