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मोतीपुर चीनी मिल को औद्योगिक हब बनाए सरकार, उपलब्ध होंगे रोजगार के अवसर

मिल की जमीन से अतिक्रमण हटाकर छोटे उद्योग लगाए जाएं। जिले में बड़े उद्योगों के साथ लघु एवं मध्यम उद्योग भी जरूरी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 05:40 PM (IST)
मोतीपुर चीनी मिल को औद्योगिक हब बनाए सरकार, उपलब्ध होंगे रोजगार के अवसर
मोतीपुर चीनी मिल को औद्योगिक हब बनाए सरकार, उपलब्ध होंगे रोजगार के अवसर

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। वैशाली संसदीय क्षेत्र स्थित मोतीपुर चीनी मिल को नया जीवन मिले तो यह उत्तर बिहार के विकास के लिए मिल का पत्थर साबित होगा। इससे न सिर्फ गन्ना किसानों की किस्मत बदल जाएगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी नया आयाम मिलेगा। चीनी मिल खुले इसके लिए सरकार को मजबूत इच्छा शक्ति दिखानी होगी। राज्य एवं जिले के विकास के लिए सरकार को बड़े उद्योग के साथ-साथ लघु एवं मध्यम उद्योगों को भी स्थापित करना चाहिए।

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 शुक्रवार को बेला औद्योगिक क्षेत्र में दैनिक जागरण की ओर चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया, जिसमें उद्यमियों एवं समाज के प्रबुद्ध लोगों ने अपने विचार रखे। सबने एकमत होकर राज्य के विकास के लिए मोतीपुर चीनी मिल खोलने, वहां औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने एवं लघु व मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहित करने के प्रस्ताव पर सहमति जताई।

चौपाल में इनकी रही भागीदारी

चौपाल में लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष श्याम सुंदर भीमसेरिया, जिलाध्यक्ष शिव शंकर साहु, एमआइटी के पूर्व प्राचार्य डा. अंजनी कुमार नाथानी, महामंत्री नरेंद्र मोहन चौधरी, भरत अग्रवाल, मनोज कुमार, उत्तर बिहार उद्यमी मंच के अध्यक्ष शिव नाथ प्रसाद गुप्ता, चार्टड एकाउंटेंट नितिन बंसल, राज कुमार, पवन कुमार, डा. सुनील कुमार श्रीवास्तव, सुरेश श्रीवास्तव, रविनाथ यादव, संजय कुमार दया शंकर ठाकुर ने भाग लिया।

बिहार को बनना होगा उत्पादक राज्य

राज्य को उत्पादक राज्य बनना होगा। यह तभी संभव है जब सरकार बड़े उद्योगों के साथ लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दे। मोतीपुर चीनी मिल की जमीन को औद्योगिक हब के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

चीनी मिल की राह में बाधा

-मिल के जमीन के बड़े भू-भाग पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा

-कब्जा करने वाले सफेदपोशों एवं दबंगों से निपटने में शासन-प्रशासन विफल

-मिल के विकास को आगे आई निजी कंपनियों को नहीं मिली सरकारी मदद

-वर्षो से बंद रहने के कारण बेकार हो चुके हैं मिल के अधिकांश उपकरण

- मिल पर किसानों, कर्मचारियों एवं मजदूरों का करोड़ों रुपये का बकाया

सरकार को करने होंगे कई उपाय

-मिल की जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने को उठाने होंगे कड़े कदम

-पुराने चीनी मिल की जगह आधुनिक चीनी मिल खोली जाए।

-चीनी मिल के साथ उससे आधारित अन्य लघु एवं मध्यम उद्योगों का किया जाए विकास।


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