Move to Jagran APP

मुजफ्फरपुर में सरकारी सेवकों का हाल गाली भी सुनो, केस भी झेलो

राजस्व विभाग से जुड़े पदाधिकारी को भी यही कुछ झेलना पड़ा। पश्चिम क्षेत्र के सत्ताधारी दल से जुड़े माननीय का रिश्तेदार बताते हुए एक व्यक्ति ने मनचाहा काम नहीं करने पर गालियों की बौछार कर दी। मोबाइल पर दी गई धमकी से असहज पदाधिकारी ने पुलिस-प्रशासन की शरण ली।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 09:06 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 09:06 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में सरकारी सेवकों का हाल गाली भी सुनो, केस भी झेलो
तीन दिन बाद ही दांव उलटा पड़ता दिख रहा। पदाधिकारी पर भी थाने में प्राथमिकी दर्ज हो गई है।

मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा]। सरकारी सेवकों के लिए जिले में काम करना खतरे से खाली नहीं। दबाव कई स्तर से। नौकरी बचानी हो तो गलत काम करना मुश्किल। जान बचानी हो तो गलत करने का दबाव। पिछले दिनों राजस्व विभाग से जुड़े पदाधिकारी को भी यही कुछ झेलना पड़ा। पश्चिम क्षेत्र के सत्ताधारी दल से जुड़े माननीय का रिश्तेदार बताते हुए एक व्यक्ति ने मनचाहा काम नहीं करने पर गालियों की बौछार कर दी। मोबाइल पर दी गई भद्दी-भद्दी गालियां और देख लेने की धमकी से असहज पदाधिकारी ने पुलिस-प्रशासन और वरीय की शरण ली। दोषी पर कार्रवाई का आश्वासन जरूर मिला, मगर तीन दिन बाद ही दांव उलटा पड़ता दिख रहा। पदाधिकारी पर भी थाने में प्राथमिकी दर्ज हो गई है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि गलती कहां हो गई। पहले गाली सुनी, अब केस भी झेलना पड़ रहा है। चिंता सता रही, नियम का पालन करना मुसीबत ना बन जाए।

loksabha election banner

माननीय की सादगी, हाकिम की मुसीबत

शहर से सटे विधानसभा क्षेत्र के माननीय जमीन से जुड़े नेता रहे हैं। पिछले दिनों उनकी हाकिम के साथ मुलाकात इंटरनेट मीडिया में चर्चित रही। कुर्सी पर बैठे हाकिम को खाली पैर खड़े होकर पत्र देते माननीय की तस्वीर वायरल हुई तो तरह-तरह के कमेंट आने लगे। माननीय को लाचार बता व्यंग्य होने लगे। उन्हें कमजोर बताया जाने लगा। प्रोटोकाल को लेकर हाकिम पर भी निशाना साधा गया। चर्चा ने जोर पकड़ी तो हलके अंदाज में ली गई तस्वीर मुसीबत बन गई। इसके बाद शुरू हुआ डैमेज कंट्रोल। हवाला दिया गया माननीयों का हमेशा सम्मान होता रहा है। शरारती और असामाजिक तत्वों की पहचान होने लगी। इस पूरी घटना ने चर्चा को हवा जरूर दे दी। कहा जा रहा कि यह माननीय की सादगी थी कि वे हाकिम के कमरे में बिना जूता पहने गए। इसे बेवजह तिल का ताड़ बनाने का प्रयास किया गया।

जनता का पैसा, चांदी अतिक्रमणकारियों की

शहर में कुछ भी नया निर्माण हो और उसका फायदा जनता को मिल जाए, ऐसा नहीं हो सकता। जिस जनता के पैसे से यह निर्माण कार्य होता है उसपर कब्जा अतिक्रमणकारियों का हो जाता है। इसके लिए निर्माण पूरा होने का इंतजार भी नहीं। ताजा उदाहरण पानी टंकी से मिठनपुरा चौक तक बनने वाली सड़क है। अभी इसका निर्माण कार्य चल ही रहा है, मगर सड़क पर ही दुकानें सज गई हैं। यह एक तरह से जगह छेकना है। जब कार्य पूरा हो जाएगा तो सड़क के किनारे नाले पर कब्जा हो जाएगा। फिर सड़क पर उनके यहां आने वाले ग्राहकों के वाहन लगेंगे। प्रशासन या संबंधित विभाग भी चुप रहेगा। चलो खराब काम हुआ होगा तो वह भी छिप जाएगा। मामला उठा तो अतिक्रमणकारियों के सिर ठीकरा फोड़ दिया जाएगा। वहीं जिस जाम से मुक्ति के लिए सड़क बनी वह समस्या जस की तस रह जाएगी।

अनुशासन वाली पार्टी में खेमेबाजी

यह पार्टी अनुशासन के लिए जानी जाती है। संगठन में यह दिखता भी रहा है, मगर पिछले कुछ माह से इसमें सेंधमारी हो गई है। कई स्तर पर खेमेबाजी दिखने लगी है। जिले में पार्टी की कमान बेहतर तरीके से संभाले जाने की खुन्नस भी एक वजह है। पार्टी के कई नेता अपना अलग गुट बना चीजें तय कर रहे। कई नेताओं को पार्टी लीक से हटकर अगड़ा-पिछड़ा करने से भी परहेज नहीं। कई मोर्चा एवं मंडल के अध्यक्ष भी इसमें शामिल हो गए हैं। इसका उदाहरण कुछ दिन पहले सामने आया। मेडिकल से जुड़ी सभी तरह की शिक्षा में ओबीसी के लिए 27 फीसद आरक्षण के केंद्र सरकार के निर्णय का उस गर्मजोशी से स्वागत नहीं किया गया जैसा अन्य फैसलों में होता है। इसमें एक गुट के होड़ लेने में जुटे रहने और दूसरे की चुप्पी से लग रहा, कुछ तो गड़बड़ है...।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.