मुजफ्फरपुर में जल संरक्षण की सरकारी मुहिम को नहीं मिल रहा मुकाम
राशि मिले तीन साल बीतने को है लेकिन एक भी कुआं का जीर्णोद्धार नहीं हो सका।चार में से एक पोखर के विकास का काम तो हुआ लेकिन आधा अधूरा। दो के विकास के नाम पर खानापूरी हो रही है। निगम एवं बुडको के खजाने की शोभा बढ़ा रही आवंटित राशि।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। जिले में जल संरक्षण की सरकारी मुहिम को मुकाम नहीं मिल रहा है। सरकार ने जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत शहरी क्षेत्र के चार पोखरों एवं सभी कुओं के जीर्णोद्धार योजना को स्वीकृति दी। कुओं के जीर्णोद्धार के लिए नगर निगम एवं पोखरों के जीर्णोद्धार के लिए बुडको को जिम्मेवारी दी गई। दोनों को राशि का आवंटन किया गया। राशि मिले तीन साल बीतने को है लेकिन एक भी कुआं का जीर्णोद्धार नहीं हो सका। चार में से एक पोखर के विकास का काम तो हुआ लेकिन आधा अधूरा। दो के विकास के नाम पर खानापूरी हो रही है। जबकि महाराजी पोखर की ओर तो अभी तक ध्यान भी नहीं दिया गया है। योजना को मूर्त रूप नहीं देने से पानी बचाने की मुहिम को झटका लग रहा है।
दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान को लेकर सोमवार को लोगों से राय ली गई तब यह बात सामने आई। सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात कुमार ने कहा कि जल एवं वायु का संरक्षण हो, इसके लिए सरकार ने जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम की शुरुआत की। पोखरो के जीर्णोद्धार की योजना बनी, लेकिन अबतक अमल नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि इस अति महत्वपूर्ण योजना को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है। मोहन कुमार ने कहा कि नगर निगम की लापरवाही के कारण दो साल बाद भी शहर के कुओं का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया। इसके लिए मिली राशि नगर के खाते की शोभा बढ़ा रही है। अब तक काम नहीं हुआ। इसके लिए सरकार ने कभी संज्ञान नहीं लिया। इस प्रकार नगर निगम भी जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण इस योजना को गंभीरता से नहीं ली। समाजसेवी श्यामल कुमार सिन्हा ने कहा कि पिछले एक दशक से सिकंदरपुर मन के विकास की सिर्फ योजना बन रही। पिछले चार साल से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इसके विकास की बड़ी-बड़ी बात कही जा रही है लेकिन अब तक इसके विकास का कोई काम निकट भविष्य में होते दिखाई नहीं पड़ रहा है।
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