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'गोवालीन' तालाब की रक्षा कर रोकी जा सकती है पानी की तबाही

मुजफ्फरपुर। मोतिहारी के अरेराज के वार्ड संख्या-11 स्थित गोवालीन तालाब लोगों के बीच आस्था का केंद्र र

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 02:32 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jun 2018 02:32 PM (IST)
'गोवालीन' तालाब की रक्षा कर रोकी जा सकती है पानी की तबाही
'गोवालीन' तालाब की रक्षा कर रोकी जा सकती है पानी की तबाही

मुजफ्फरपुर। मोतिहारी के अरेराज के वार्ड संख्या-11 स्थित गोवालीन तालाब लोगों के बीच आस्था का केंद्र रहा है। लेकिन, वर्तमान में इस पोखर का अस्तित्व संकट में है। प्रसिद्ध सोमेश्वरनाथ मंदिर से सटे तिलावे नदी के पूर्वी छोर पर स्थित यह तालाब इन दिनों भूमि की कमी का दंश झेल रहा है। इसके पश्चिमी छोर पर स्थित है राम जानकी मंदिर व मठ। इसी से सटे नजर आती है एक पुरानी धर्मशाला। धर्मशाला भवन भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। जानकार बताते हैं कि अब से कई साल पहले यहां मेले जैसा नजारा लगता था। सोमेश्वर नाथ महादेव का दर्शन पूजन करने आनेवाले भक्त इसी तालाब में स्नान करते थे। बड़ी संख्या भीड़ जुटती थी। राम जानकी मंदिर व मठ परिसर में लोग पड़ाव डालकर लखराव, अष्टयाम, कथा-पाठ करते थे। आज भी यहां श्रद्धालुओं के वाहनों की पार्किंग होती है। लेकिन, समय के साथ तालाब के किनारे की जमीन बिकने लगी है। इस कारण से तालाब के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है। इस स्थिति में लोग चापाकल से पानी अत्यधिक निकालते हैं और इसकी तबाही होती है। सीढ़ी घाट भी खस्ताहाल स्थिति में यहां दूर-दूर से आनेवाले श्रद्धालु भक्तों का पड़ाव स्थल उक्त तालाब के पास होने को लेकर इसके पश्चिम दिशा में पुरुषों के स्नान करने के लिए सीढ़ी का निर्माण किया गया है। दक्षिणी दिशा में महिलाओं के स्नान के लिए सीढ़ी घाट का निर्माण हुआ। पशुओं के पानी के लिए पोखरा के पूर्वी छोर पर घाट बनाया गया है। लेकिन, वक्त की ऐसी मार पड़ी है कि घाट भी समाप्त होने की ओर है। इस स्थिति में एक जलस्त्रोत समाप्त होने की राह पर है। गोवालीन ने कराया था निर्माण, खुद भी आती थीं पूजा करने स्थानीय कवि व सेवानिवृत्त शिक्षक जयगो¨वद यादव बताते हैं कि आज जबकि पानी की बर्बादी बड़ी तेजी हो रही है। ऐसी स्थिति में तालाब का संरक्षण नहीं होना ¨चता का विषय है। तालाब की खुदाई गोवालीन नामक महिला ने कराया था। स्थानीय स्तर पर ऐसी लोकोक्ति है कि उक्त महिला की कोई संतान नहीं थी। अरेराज के प्राचीन व ऐतिहासिक तीर्थ स्थल होने के चलते उन्होंने तालाब निर्माण कराया। ताकि लोग यहां स्नान कर पूजा पाठ कर सके। वह स्वयं भी आकर उक्त स्थान पर अपने परिजनों के साथ रात्रि विश्राम कर सोमेश्वरनाथ का दर्शन पूजन करती थी। बोले लोग : निजी लोभ में ऐतिहासिक तालाब को किया जा रहा समाप्त स्थानीय ग्रामीण शिवपूजन गिरि, रमा भगत, अजय प्रसाद आदि का कहना है कि पिछले पांच साल में तालाब के आस पास की खाली जमीन को एक व्यवसायी द्वारा स्थानीय लोगो के हाथों बेचा जा रहा है। इस कारण से तालाब के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। चंद लोग अपने निजी स्वार्थ में प्राचीन तालब को समाप्त करने में जुटे हुए हैं।

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