माहौल विपरीत है और परिस्थितियां विषम, कोरोना काल को दें रोचक अंदाज तो खुशहाल रहेंगे बच्चे
माहौल विपरीत और परिस्थितियां विषम। ऐसे में तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है। बच्चे और किशोर भी इससे अलग नहीं। ऐसे में कोरोना काल में जानें क्या करें अभिभावक।
समस्तीपुर [अजय पांडेय] । माहौल विपरीत है और परिस्थितियां विषम। दिनचर्या में बदलाव भी। सामान्य जीवनशैली की वापसी को लेकर अनिश्चितता है। ऐसे में तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है। बच्चे और किशोर भी इससे अलग नहीं। अभिभावक क्या करें, यह बड़ा सवाल है। इन हालात को आइसीडीएस (इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस) ने समझा और कुछ गाइडलाइंस और मनोवैज्ञानिक तथ्यों को जारी किया। महिला पर्यवेक्षिकाओं और आंगनबाड़ी सेविकाओं को निर्देश दिया गया कि वे माता-पिता को जागरूक करें। बच्चों का ख्याल रखने में उनकी सहायता करें।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देश के अनुसार कोरोना काल में बच्चे चाहते हैं कि अभिभावक उनपर ध्यान दें। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चे की चिंता करें। वे अपने बच्चों से नियमित तौर पर बात करें। उनके प्रश्नों के जवाब दें। अभी हाल के माहौल की वास्तविकता को रोचक अंदाज में बच्चों को समझाना जरूरी है। यह एहसास दिलाएं कि वे सुरक्षित हैं।
बच्चे पहले से क्या जानते, पता करें
मनोवैज्ञानिक डॉ. शंभूनाथ ठाकुर बताते हैं कि कोरोना काल में कई तरह की भ्रामक जानकारियां सोशल मीडिया पर चल रही हैं। इसलिए, माता-पिता सुनिश्चित करें कि बच्चे पहले से क्या जानते हैं। उनसे सवाल पूछें कि कोरोना के बारे में उनके पास क्या जानकारी है। इससे यह तय हो जाएगा कि बच्चों के मन पर सोशल मीडिया पर फैली भ्रामक जानकारी कहीं हावी तो नहीं। अगर, उनके पास गलत सूचना है तो उन्हें वास्तविकता से अवगत कराएं।
भ्रामक जानकारी से बच्चे को दूर रखें
मनोचिकित्सक का भी मानना है कि बच्चे समाचार या सोशल मीडिया की जगह रोचक कहानी या पौराणिक सीरियल देखें। इस दौर में उनके मन से नकारात्मक विचारों को दूर करना बेहद जरूरी है। भ्रामक जानकारी से दूर रखना जरूरी है। सोशल मीडिया या कई बार टीवी चैनलों पर चलने वाली खबरों का गलत असर पड़ जाता है।
बच्चों व किशोरों में तनाव जनित प्रतिक्रिया को ऐसे पहचानें
- बच्चों का अधिक रोना या चिढऩा
- बच्चों का बिस्तर पर ही मल-मूत्र का त्याग करने लगना
- अत्यधिक चिंता एवं उदासी
- किशोरों में चिड़चिड़ापन बढ़ जाना
- जिन गतिविधियों में बच्चों का मन लगता था, उनसे दूर भागना
- किशोरों द्वारा तंबाकू या अन्य दवाओं का सेवन करने लगना
- बच्चों एवं किशोरों में सिरदर्द या शरीर में दर्द होना