Coronavirus: कोई वायरस की चिंता में पहने हैं मास्क, तो कोई बदबू के बीच शौचालय में सफर करने को विवश
बिहार संपर्क क्रांति की जेनरल बोगियां उपेक्षित स्लीपर बीमार और एसी बैठने लायक। जेनरल के शौचालय में बैठ यात्रा करने को विवश हैं यात्री साफ-सफाई में दिख रही सुस्ती।
समस्तीपुर, अजय पांडेय। कोरोना से जंग, मगर ट्रेन में सुविधा...बदरंग। हमें देख रहे हैं न...कहां बैठे हैं। आपको क्या लगता है, शौचालय में बैठकर दिल्ली से आने का शौक है। जब लोग यहां आते तो बाहर आना पड़ता, उनके निकलने के बाद फिर जगह मिलती। आप वायरस की चिंता में मास्क पहने हैं। हम बदबू के बीच बैठकर सफर करने को विवश हैं...।
ट्रेनों की साफ-सफाई और व्यवस्थागत खामी से आजिज यह उस यात्री की पीड़ा है, जिसे रेलवे ने 'सामान्य श्रेणीÓ में बांट दिया है। रविवार, करीब ढाई बजे दिल्ली से दरभंगा जानेवाली बिहार संपर्क क्रांति से शुरू इस यात्रा में हम मुजफ्फरपुर में सोमवार को नौ बजे शामिल होते हैं। जेनरल की बोगियां उपेक्षित, स्लीपर बीमार और एसी बैठने लायक। हमारी यात्रा सामान्य से शुरू होती है। और, बातचीत का क्रम बलिराम कुंवर से शुरू होता है, जो शौचालय में बैठकर दिल्ली से आ रहे।
कोरोना त खाली बड़के लोग के होइ छै
जिस बोगी के शौचालय में लोग जमे हों, वहां जैसे-तैसे जगह बनाई और घुस गया। घुसते ही शौचालय की ओर नजर गई। पता चला कुछ लोग वहीं बैठे हैं, जबकि कई शौच के लिए खड़े हैं। दोनों ओर से बहस चल रही। काफी नोकझोंक के बाद परिवार बाहर निकला और लाइन में लगे लोग एक-एक कर शौच के लिए अंदर गए। हमें फोटो खींचता देख खैनी ठोक रहे दरभंगा के कामेश्वर झा से रहा नहीं गया। बोल पड़े...कतेक मोबाइल चमकायब...अहां एतय देखैत छी...हमसब दिल्ली स देखैत अबै छियै...। कोरोना त खाली बड़के लोग के होइ छै...ताहि लेल त खाली एसीए में सफाई कराओल जा रहल छै ...।
क्या सफाई होगी, औपचारिकता पूरी हो रही
हमारी ट्रेन ढोली के आसपास पहुंच चुकी है। ट्रेन समस्तीपुर तक नॉन स्टॉप है, लेकिन किसी ने वैक्यूम कर दिया। हम भी उतरकर स्लीपर बोगी की ओर बढ़े। अब जरा यहां का हाल देखिए...डस्टबिन भरा। वाश बेसिन जाम और गंदे पानी से भरा। पता चला कि रनिंग ट्रेन सफाईकर्मी ओबीएचएस वाले हाजीपुर में झाड़ू-पोंछा किए हैं। लेकिन, न शौचालय की सफाई, न बेसिन की। समस्तीपुर के कौशल रंजन बताते हैं कि क्या सफाई होगी, औपचारिकता पूरी हो रही। चर्चा में दरभंगा जानेवाली शालिनी भी शामिल होती हैं। जेएनयू में पढ़ती हैं। कहती हैं...रात में मच्छर मारने के लिए हीट मांगा। बताया गया कि एसी बोगी से बचेगा तो स्प्रे कर देंगे।
एसी में शौचालय नहीं...टॉयलेट
समय लगभग पौने दस। ट्रेन कर्पूरीग्राम के आसपास थी। हम बढ़ चलते हैं एसी बोगी की ओर। घुसते ही उच्च श्रेणी के होने का एहसास। बोगी में कन्नौज मार्का इत्र की खुशबू। यहां शौचालय नहीं...टॉयलेट है। उसमें हैंडवाश है, सैनिटाइजर और टिश्यू पेपर भी। यात्रियों को संक्रमण न हो, इसलिए पर्दे गायब, बंद लिफाफे में बंद कंबल। यात्री मास्क पहने। ट्रेन दस बजे समस्तीपुर पहुंच चुकी है...। कामेश्वर झा की बातें जेहन में निरंतर कौंध रही हैं।