मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के लैब टेक्नीशियन की ससुराल में मिलीं चार हजार सरकारी एंटीजन किटें, पांच गिरफ्तार
Muzaffarpur News जिले में सरकारी एंटीजन किट की कालाबाजारी में तीन लैब टेक्नीशियन एक एंबुलेंस चालक समेत पांच गिरफ्तार चल रही पूछताछ। सकरा के सुस्ता गांव में की गई छापेमारी भारी मात्रा में सैनिटाइजर ग्लब्स आदि बरामद।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। जिले में सरकारी एंटीजन किट की कालाबाजारी में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें सदर अस्पताल के तीन लैब टेक्नीशियन, एंबुलेंस चालक व सकरा रेफरल अस्पताल का एक कर्मी शामिल हैै। सकरा के सुस्ता गांव के संजय ठाकुर के आवास पर छापेमारी में सदर अस्पताल के लैब टेक्नीशियन हाजीपुर निवासी लव कुमार के साथ चार हजार एंटीजन किट, ग्लब्स, सैनिटाइजर समेत अन्य सामान बरामद किया गया। सकरा थानाध्यक्ष सह प्रशिक्षु आरक्षी उपाध्यक्ष सतीश सुमन ने एंटीजन किट की कालाबाजारी की गुप्त सूचना पर शनिवार को रात में ही एक टीम गठित कर छापेमारी की। उससे पूछताछ के बाद पुलिस ने सदर अस्पताल में पदस्थापित बेला निवासी मिथिलेश कुमार, एलटी भगवानपुर निवासी आनंद कुमार, लैब टेक्नीशियन दीपक कुमार तथा सकरा में पदस्थापित लैब टेक्नीशियन अवधेश कुमार को गिरफ्तार किया है। लव कुमार का कहना है कि उन्होंने सदर अस्पताल से सभी सामग्री विभिन्न अस्पतालों में देने के लिए प्राप्त की थी। लैब टेक्नीशियन की गिरफ्तारी के बाद मुख्य गोदाम का ताला बंद रहने से जांच प्रभावित रही। दोपहर तीन बजे के बाद मुख्य केंद्र सहित अन्य जगहों पर जांच शुरू हुई। पुलिस ने सदर अस्पताल के प्रबंधक प्रवीण कुमार से भी पूछताछ की है।
डीएसपी मनोज पांडेय ने कहा कि आरोपितों से पूछताछ की जा रही है। कहा कि सदर अस्पताल के कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी सामग्री की चोरी कर उसे अधिक दामों में खुले बाजार व निजी नॄसग होम में बेचने का काम किया जा रहा था। सकरा में पदस्थापित टेक्नीशियन अवधेश कुमार द्वारा जांच की जाती थी। निजी नॄसग होम संचालक उससे जांच कराते थे।
सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने कहा कि सरकारी किट की कालाबाजारी जघन्य अपराध है। पुलिस को जांच में हर सहयोग किया जाएगा। वह अपने स्तर से भी जांच करेंगे। पटना से सेंट्रल गोदाम से कितनी एंटीजन किट आईं। नशा मुक्ति केंद्र पर कितनी किट गईं। इसकी छानबीन होगी। इसमें और किसी की संलिप्तता आएगी उस पर कानूनी कार्रवाई होगी।
एक हजार किट हो रही थी आवंटित
अभी तक की जांच में सामने आया है कि गिरफ्त में आए कर्मचारी सदर अस्पताल के नाम पर आवंटित 1000 किट में से अधिकतम 600 ही जांच करते थे। शेष किट हर दिन बेच दी जाती थी। इसका हिसाब नहीं हो रहा था। इसी का फायदा उठाकर ये लैब टेक्नीशियन किट को सदर अस्पताल के जांच केंद्र से ले जाकर सकरा में जमा कर रहे थे।
फर्जी नाम, पता व मोबाइल नंबर भर किट बचाने का चल रहा था खेल
सदर अस्पताल व सकरा पीएचसी में जांच के लिए जो फॉर्म भरे जाते उनमें फर्जी नाम, पता और मोबाइल नंबर अंकित कर एंटीजन किट बचत करने का खेल चल रहा था। जांच रिपोर्ट पर निगेटिव अंकित कर दिया जाता था। इससे जो किट बचती थीं उसे एंबुलेंस से सुस्ता के संजय ठाकुर के घर पहुंचा दी जाती थीं। शहरी क्षेत्र में किट कहा छिपाकर रखी जाती थी,पुलिस अब उसका अड्डा तलाश रही है।