Move to Jagran APP

एलएस कॉलेज राष्ट्रीय धरोहर, इसकी ऐतिहासिकता बचाने को आगे आएं पूर्ववर्ती विद्यार्थी Muzaffarpur News

एलएस कॉलेज में एलुमनाई मीट में कई पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने की कॉलेज को मदद की घोषणाएं। देश के विभिन्न कोनों से आए थे पूर्ववर्ती विद्यार्थी।

By Murari KumarEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 07:32 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 07:32 PM (IST)
एलएस कॉलेज राष्ट्रीय धरोहर, इसकी ऐतिहासिकता बचाने को आगे आएं पूर्ववर्ती विद्यार्थी Muzaffarpur News
एलएस कॉलेज राष्ट्रीय धरोहर, इसकी ऐतिहासिकता बचाने को आगे आएं पूर्ववर्ती विद्यार्थी Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एलएस कॉलेज को सिर्फ कॉलेज का दर्जा देना उचित नहीं होगा। यह राष्ट्रीय धरोहर है। इसकी ऐतिहासिकता बचाने को  पूर्ववर्ती विद्यार्थियों को आगे आना चाहिए। पूरे देश में इसकी ख्याति है और यहां से निकले विद्यार्थी विदेशों में भी इसकरी पताका लहरा रहे हैं। ये बातें एलएस कॉलेज में आयोजित एलुमनाई मीट को संबोधित करते हुए 1948 में कॉलेज के छात्र रहे और आरडीएस कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक डॉ.देवेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहीं। 

loksabha election banner

 इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ.ओम प्रकाश राय ने कहा कि कॉलेज में शिक्षकों की कमी है। उन्होंने पूर्ववर्ती विद्यार्थियों से कॉलेज की ऐतिहासिकता को कायम रखने के लिए आगे आने को कहा। डॉ.राय ने कहा कि यहां के छात्र विभिन्न विभागों में शिखर पर हैं। उनकी मदद से कॉलेज तेजी से विकास करेगा। 1965 में कॉलेज के छात्र रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि कॉलेज की ऐसी ख्याति थी कि देश के विभिन्न कोने से विद्यार्थी नामांकन लेने आते थे। दिनकर और कृपलानी जी जैसे प्राध्यापक होते थे। पर वर्तमान में शिक्षकों की कमी से शिक्षा की स्थिति में गिरावट हुई है। इसकी गरिमा को बचाने के लिए पूर्ववर्ती विद्यार्थियों को आगे आना होगा। 

 अध्यक्षता करते हुए बीआरएबीयू के कुलपति डॉ. आरके मंडल ने कहा कि पूर्ववर्ती विद्यार्थियों के लिए एक वेबसाइट बनवाएं ताकि सभी एलुमनाई इससे जुड़ें और कॉलेज के पास भी उनका डाटा हो कि वे वर्तमान में कहां हैं। साथ ही इसके माध्यम से पूर्ववर्ती छात्र फंड भी देंगे जो कॉलेज के विकास में अहम साबित होगा।

 कुलपति ने कहा कि तारामंडल के जीर्णोद्धार के लिए वे अपनी ओर से फंड देंगे। इसके अलावा कार्यक्रम में पूर्ववर्ती विद्यार्थी और प्राध्यापक रहे डॉ.नित्यानंद, डॉ.कृष्णमोहन प्रसाद, समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर के प्राध्यापक डॉ.सच्चिदानंद तिवारी ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.राजीव कुमार ने किया।

कॉलेज की लाइब्रेरी के लिए 50 हजार की पुस्तकें देंगे डॉ.अजीत

एलएस कॉलेज में छात्र रहे और वर्तमान में विवि के पीजी इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ.अजीत कुमार ने कॉलेज की लाइब्रेरी में 50 हजार मूल्य की पुस्तकें उपलब्ध कराने की घोषणा की । उन्होंने कहा कि अन्य गतिविधियों में भी कॉलेज की मदद के लिए वे साथ हैं। 

बीती यादें

कॉलेज में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की इंट्री पर लगी थी रोक : सन 1968 में आरडीएस कॉलेज में दो छात्रों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसी कारण विद्यार्थियों ने आंदोलन शुरू किया तो कॉलेज परिसर में पुलिस पहुंची। इसपर कॉलेज के विद्यार्थी भड़क गए कि पुलिस कॉलेज परिसर में क्यों पहुंची। विद्यार्थियों ने उस समय के प्राचार्य डॉ.एचआर घोषाल से बात की।

 प्राचार्य ने विद्यार्थियों को विश्वास दिलाया कि उनकी अनुमति के बाद पुलिस परिसर में प्रवेश नहीं करेगी और जबतक डॉ.एचआर घोषाल रहे पुलिस या कोई भी प्रशासनिक अधिकारी परिसर में नहीं पहुंचे। इस वाकया के बारे में आएएस अधिकारी रहे जय शंकर तिवारी ने बताया। कहा कि 1966 में वे कॉलेज में आइएससी की पढ़ाई करने आए थे और आज भी यह घटना उनके जेहन में है। कहा कि लंबे समय बाद कॉलेज में आकर लगा जैसे पुरानी उर्जा लौट आई हो। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.