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पूर्व मंत्री अजीत कुमार प्रवासियों की अनदेखी से नाराज, कहा, सरकार ले संज्ञान नहीं तो प्रवासियों संग उतरेंगे सड़क पर

बाहर से आ रहे प्रवासियों की न तो जांच की जा रही और न ही उन्हें गंतव्य तक जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की जा रही। भूख-प्यास से हो रहे परेशान।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:33 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 08:33 AM (IST)
पूर्व मंत्री अजीत कुमार प्रवासियों की अनदेखी से नाराज, कहा, सरकार ले संज्ञान नहीं तो प्रवासियों संग उतरेंगे सड़क पर
पूर्व मंत्री अजीत कुमार प्रवासियों की अनदेखी से नाराज, कहा, सरकार ले संज्ञान नहीं तो प्रवासियों संग उतरेंगे सड़क पर

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। रेलवे स्टेशन पर जिला प्रशासन द्वारा बाहर से आने वाले प्रवासियों की न तो जांच हो रही है और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था है। उन्हें भोजन व अन्य सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। सरकार व जिला प्रशासन तुरंत संज्ञान में लेकर समुचित कार्रवाई करें नहींं तो प्रवासियों के साथ सड़क पर उतरेंगे। उक्त बातें कांटी के शेरपुर, कलवारी, श्यामपुर भोजा, चैनपुर, बरियारपुर, सिरसिया, रेपुरा आदि गांवों में प्रवासियों की मदद के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित बैठक में पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहीं।

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लगातार बढ़ रहा प्रकोप

उन्होंने कहा कि महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे बचने के लिए डब्ल्यूएचओ, स्वास्थ्य विभाग व सरकारी निर्देशों का गंभीरता से पालन करें। बैठकों में मृत्युंजय चौधरी, प्रिंस कुमार शाही, सुरेश राय, ललिता देवी, भिखारी साह, विष्णु देव भगत, मुखिया मुकुंद कुमार, उपेंद्र साह, विजय साह, पंकज कुमार सिंह, दीपक कुमार, सौरभ कुमार, राहुल कुमार सिंह, गुड्डू पासवान, भिखारी साह, दीपक कुमार, प्रियरंजन कुमार, आशुतोष कुमार, राजू कुमार साह, अजीत कुमार ,शशि रंजन कुमार, रोहित पासवान, गौतम कुमार गुप्ता, अजय कुमार भगत ,राजीव कुमार, अनिल कुमार, अमर कुमार साह, सौरभ कुमार, प्रिंस कुमार, सुधांशु कुमार ,संजीत कुमार ,रमन कुमार थे।  

श्रम नीति में सुधार करे सरकार

ब्रह्मर्षि कल्याण परिषद् के संयोजक रामकिशोर सिंह ने राज्य सरकार से श्रम नीति में सुधारकर मनरेगा मजदूरों को कृषि कार्य में लगाने की अपील की है। कहा है कि यहां श्रम, बुद्धि व पूंजी की कमी नहीं है। जरूरत है तो बस आपसी सामंजस्य, सहयोग व विश्वास की। जिसके अभाव में यहां के मजदूरों को दूसरे प्रांतों की ओर पलायन करना पड़ता है। लागत की अधिकता से किसानों को समुचित लाभ नहीं मिल रहा। सरकार जितना पैसा मनरेगा मजदूरों को देती है, उतना ही पैसा कृषक मजदूरों को दे दे तो मजदूरों की आय बढ़ जाएगी और किसान का लागत खर्च कम हो जाएगा। 


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