पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मुजफ्फरपुर में कहा- किसान आंदोलन को वामपंथियों व नक्सलियों ने किया हाईजैक
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुजफ्फरपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में किसान आंदोलन में विपक्ष की भूमिका को जमकर लताड़ा। कहा कि कृषि कानूनों को देश के किसानों का समर्थन है। शनिवार को महागठबंधन की आयोजित कार्यक्रम में किसान शामिल नहीं हुए।
मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। कृषि कानूनों को देश के किसानों का समर्थन है। यह शनिवार को महागठबंधन की आयोजित मानव शृंखला में दिख गया। इसमें किसान शामिल नहीं हुए। इससे पहले भी विपक्ष के भारत बंद व धरना को किसानों ने समर्थन नहीं दिया। वहीं पंजाब, हरियाणा तक सीमित किसान के आंदोलन को वामपंथियों, नक्सलियों व ङ्क्षहसा के समर्थकों ने हाइजैक कर लिया। ये बातें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने प्रेस वार्ता में कहीं।
उन्होंने कहा, आंदोलन में वे किसान शामिल हैं जो विलासितापूर्ण जीवन जीते हैं। साथ ही उन्हें बरगला दिया गया है। योगेंद्र यादव व हन्नान मोल्लाह जैसे वामपंथ से जुड़े दर्जनों नेता चाहते हैं कि कोई रास्ता नहीं निकले। अगर कानून में कोई खामी है तो उसमें संशोधन हो सकता है। केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है। मगर आंदोलन का नेतृत्व ङ्क्षहसा में विश्वास करने वाले कर रहे। इसका ही परिणाम रहा कि गणतंत्र दिवस पर लाल किले की घटना हुई। किसानों के कंधे का इस्तेमाल कर बंदूक चलाई जा रही है।
कभी किसानों की जमीन हड़पने वाले हमदर्द बन रहे
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार के किसान धन्यवाद के पात्र हैं कि कृषि कानूनों का समर्थन किया। आज वही माले व वामपंथी इस कानून का विरोध कर रहे जो कभी बिहार में किसानों की जमीन हड़पते रहे। नक्सलियों व माले के कारण हजारों किसानों को पलायन करना पड़ा। आज वे किसानों का हमदर्द बन रहे। वहीं कांग्रेस ने पहले कृषि सुधार का समर्थन किया था। अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इसे शामिल किया था। आज वह भी कृषि कानून का विरोध कर रही। यह हास्यास्पद है।
कभी खत्म नहीं होगा एमएसपी
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, नेता प्रतिपक्ष बिहार में फिर से मंडी व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे। मगर उन्हें पता होना चाहिए कि बिहार पहला राज्य था जिसने 2007 में बाजार समिति व्यवस्था को निरस्त कर दिया था। इससे किसानों को अपनी उपज पर टैक्स नहीं लगने लगा। वे उपज को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। भ्रष्टाचार वाली मंडी व्यवस्था को नेता प्रतिपक्ष फिर से लागू कराना चाह रहे। जबकि सरकार किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य देना चाह रही। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र में किसानों को मंडी व्यवस्था के कारण आठ से 13 फीसद टैक्स देना पड़ रहा है। जहां तक एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात है वह लागू रहेगा। राज्य में 22 लाख मैट्रिक टन धान की खरीद एमएसपी पर हुई। इसे खत्म करना होता तो फिर धान की खरीद कैसे की गई। जबतक भाजपा व नरेंद्र मोदी की सरकार है एमएसपी खत्म नहीं होगा। प्रेस वार्ता में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश वर्मा व जिलाध्यक्ष रंजन कुमार मौजूद थे।