West champaran: वीटीआर में पहली बार बाघ की पहचान को होगी डीएनए जांच
West champaran लड़ाई में एक बाघ को मारने वाले दूसरे बाघ की पहचान के लिए वीटीआर प्रशासन का निर्णय दूसरे बाघ की ट्रैकिंग के बाद उसके मल और बाल के नमूने की बरेली और देहरादून में होगी जांच
बेतिया (पश्चिम चंपारण), जासं। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बुधवार को वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघ की मौत के बाद कर्मी दूसरे बाघ की ट्रैङ्क्षकग में लगे हैं। शुक्रवार को मानसरोवर क्षेत्र में इस बाघ का मल मिला । इससे पूर्व बुधवार को घटनास्थल के पास ही बाघ के बाल मिले थे। दोनों की डीएनए जांच इंडियन वेटनरी इंस्टीट्यूट, बरेली और वन्य जीव अध्ययन संस्थान, देहरादून में होगी । क्षेत्र निदेशक एचके राय ने बताया दोनों की रिपोर्ट से यह पता चल सकेगा कि यह एक ही बाघ का है या नहीं । अगर जांच में दोनों की रिपोर्ट एक आती है तो स्पष्ट होगा कि इसी बाघ के साथ वर्चस्व की लड़ाई में दूसरे की मौत हुई है । उन्होंने बताया कि यहां पहली बार किसी बाघ के डीएनए की जांच कराई जा रही है।
सही ढंग से ट्रैकिंग होती तो बचाई जा सकती थी बाघ की जान
ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन विभाग की टीम सतर्क रहती तो बाघ की जान नहीं जाती। मानपुर के मानसरोवर में बाघ की मौजूदगी की सूचना पिछले एक सप्ताह से वन कर्मियों को दी जा रही थी। वनकर्मी उन्हें सतर्क रहने की बात कहकर अपने वन कार्यालय में वापस चले जाते थे। उसके रेस्क्यू के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया । घटना की रात भी बाघ की दहाड़ करीब दो घंटे तक सुनी गई, फिर भी इसका संज्ञान नहीं लिया गया।
बाघों की सुरक्षा में तैनात पांच सौ कर्मी
वीटीआर में बाघों एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए पांच सौ कर्मी तैनात हैं । इनमें 90 की संख्या में फारेस्ट गार्ड एवं शेष टाइगर ट्रैकर हैं । ये पूरे वीटीआर क्षेत्र में गश्ती करते हैं । इनकी काम शिकारियों और बाघों की गतिविधियों पर नजर रखना है । इनके अलावा 54 शिकार रोधी केंद्र से भी बाघों पर नजर रखी जाती है।