Move to Jagran APP

फाग सेफ डिवाइस से ट्रेनों के परिचालन पर नहीं पड़ेगा कोहरे का असर

जाड़े के मौसम में सुरक्षित रेल परिचालन के लिए अतिरिक्त सावधनियां बरती जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 01:48 AM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 01:48 AM (IST)
फाग सेफ डिवाइस से ट्रेनों के परिचालन पर नहीं पड़ेगा कोहरे का असर
फाग सेफ डिवाइस से ट्रेनों के परिचालन पर नहीं पड़ेगा कोहरे का असर

मुजफ्फरपुर : जाड़े के मौसम में सुरक्षित रेल परिचालन के लिए अतिरिक्त सावधनियां बरती जा रही हैं। पूर्व मध्य रेल से चलने वाली ट्रेनों में फाग सेफ डिवाइस लगाने की कवायद की जा रही है। इसके लगने से ट्रेनों के परिचालन पर असर नहीं पड़ेगा। दुर्घटना से भी बचा जा सकेगा।

loksabha election banner

पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि इसे मेल-एक्सप्रेस सभी ट्रेनों में लगाया जाएगा। इसके लगने से कोहरे के दौरान गाड़ियों की लेटलतीफी कम होगी। साथ ही यात्रियों को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। ट्रेनों के सुचारु परिचालन के लिए पूर्व मध्य रेल ने शत-प्रतिशत मेल/एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों के लोको पायलटों के लिए फाग सेफ डिवाइस की कवायद कर रहा है।

फाग सेफ डिवाइस जीपीएस आधारित एक उपकरण है जो लोको पायलट को आगे आने वाले सिग्नल की चेतावनी देता है। इस पर लोको पायलट ट्रेन की स्पीड नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा फाग मैन भी तैनात किए जा रहे हैं जो कोहरे के दौरान रेल लाइन पर सिग्नल की स्थिति की निगरानी करेंगे। रेल पटरी फ्रैक्चर से बचाव व समय पर इसकी पहचान के लिए उच्चाधिकारियों की निगरानी में रेलकर्मियों द्वारा निरंतर पेट्रोलिग की जा रही है। इससे एक ओर जहां संरक्षा में वृद्धि होगी वहीं कोहरे के बाद भी समय पालन करने में मदद मिलेगी। लाइन पेट्रोल करने वाले कर्मियों को जीपीएस भी उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उनकी खुद की भी सुरक्षा हो सके।

सिग्नलों की बढे़गी ²श्यता

सिग्नलों की ²श्यता बढ़ाने के लिए साइटिग बोर्ड, फाग सिग्नल पोस्ट, ज्यादा व्यस्त समपार के लिफ्टिग बैरियर आदि को काले व पीले रंग से रंगकर उसे चमकीला बनाया गया है। सिग्नल आने के पहले रेल पटरी पर सफेद चूने से निशान बनाए गए हैं ताकि लोको पायलटों को कुहासे वाले मौसम में सिग्नल के बारे में अधिक सतर्क हो जाएं। घने कोहरे में स्टाप सिग्नल की पहचान के लिए इससे पहले एक विशेष पहचान चिह्न सिगमा के आकार का लगाया जाएगा ताकि चालक को उसकी आसानी से जानकारी हो सके।

रेल गुमटियों पर लगातार बजाएंगे हार्न

सभी स्टेशन मास्टरों व लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर इसकी सूचना नियंत्रण कक्ष को देने को कहा गया है। इसके बाद ²श्यता की जांच वीटीओ (विजुविलिटी टेस्ट आब्जेक्ट) से करें। ²श्यता बाधित होने की स्थिति में लोको पायलट ट्रेन के ब्रेक पावर, लोड व ²श्यता की स्थिति के आधार पर गाड़ी की गति को नियंत्रित कर लेंगे। पूर्व मध्य रेल में ट्रेनों की अधिकतम स्वीकृत गति 130 किमी प्रतिघंटा है, लेकिन लोको पायलटों को निर्देश दिया गया है कि कुहासा होने पर वे 75 किलोमीटर प्रतिघंटे से अधिक की गति से ट्रेन न चलाएं। समपार फाटक पर तैनात गेटमैन व आम लोगों तक ट्रेन गुजरने की सूचना मिल सके इसलिए लोको पायलट काफी पहले से लगातार हार्न बजाएंगे ताकि यह पता चल सके कि ट्रेन इधर से गुजरने वाली है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.