पौधरोपण से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे अनिल, चार एकड़ जमीन में लगाए रखे हैं सैकड़ों पौधे
औषधीय पौधों के अलावा एनीटाइम कटहल और थाइलैंड का अमरुद आकर्षण का केंद्र। गांव की पुश्तैनी जमीन पर सैकड़ों पौधे लगाए हैं।
सीतामढ़ी, [नीरज]। जिले के बैरगनिया प्रखंड के बेगाही निवासी अनिल कुमार झा पौधरोपण के जरिए पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं। गांव की पुश्तैनी जमीन पर सैकड़ों पौधे लगाए हैं। इसमें जेट्रोफा, अश्वगंधा, अर्जुन, आम, शॉल, जामुन, महोगनी, एमशॉल, चह, सेमल, सखुआ, पोपलर, देहाती शीशम, खैर, ब्लैक शीशम और शीशम आदि हैं।
तकरीबन चार एकड़ जमीन में लगे पौधे पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। इन पौधों के बीच एनीटाइम कटहल और थाइलैंड का अमरुद आकर्षण का केंद्र है। एनीटाइम कटहल पंजाब और केरल से लाकर लगाया। यह कटहल सालों भर फलता है। वहीं, बंगाल से लाया गया थाइलैंड का अमरुद तीन-चार माह में ही फलने लगता है।
लोगों को करते रहे प्रेरित
शिक्षा विभाग के लिपिक अनिल रविवार को अवकाश के दिन गांव में पौधों की देखभाल करते हैं। पौधरोपण के प्रति समर्पण के चलते इलाके में चर्चित हैं। वे लोगों को भी पौधरोपण के लिए प्रेरित करते हैं। इलाके के दर्जनों लोग भी अब धान-गेहूं और मक्के की खेती के बदले पौधरोपण में लगे हैं।
दूरदराज से देखने आते लोग
गांव के अजय झा, दयासिंधु झा, मनोज कुमार व मनोहर कुमार आदि अनिल के अभियान की सराहना करते हैं। उनके लगाए गए पौधों को देखने के लिए दूरदराज के लोग पहुंचते हैं। अनिल से प्रेरित डुमरा निवासी भूषण कुमार बताते हैं कि उनके पौधरोपण का तरीका किसी मिसाल से कम नहीं है।
जवां होने लगे पौधे
बेंगाही गांव में अनिल द्वारा लगाए गए पौधे अब जवां होने लगे है। अगले तीन-चार साल के बाद पेड़ बिकने लायक हो जाएगा। इससे अच्छी आय होगी। अनिल के शिक्षक पिता श्री प्रसाद झा पौधरोपण के प्रति समर्पित थे। अनिल बचपन में पिता के साथ बागबानी में हाथ बंटाते रहे। पिता के निधन के बाद भी अनिल ने पौधरोपण अभियान जारी रखा। वे हर तरह के पौधे लगाना चाहते हैं। छुट्टी मिलते ही पटना, हाजीपुर, वाराणसी और कोलकाता से तरह-तरह के पौधे लाकर लगाते हैं। छोटी सी नर्सरी भी बना रखी है। पेड़-पौधों की देखभाल के लिए कई मजदूरों को भी लगा रखा है।
सीख लेने की जरूरत
जिला कृषि पदाधिकारी अनिल राय और जिला परिषद उपाध्यक्ष देवेंद्र साह बताते हैं कि वर्तमान में पर्यावरण की रक्षा के लिए पौधरोपण अहम है। एक पेड़ सौ पुत्र के समान है। अन्य लोगों को भी अनिल से सीख लेनी चाहिए।