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प्रभावित इलाकों में घरों में पानी, संपत्ति के मोह में फंसी जिंदगानी Muzaffarpur News

500 से अधिक घर बूढ़ी गंडक के पानी में डूबे और घिरे। 10 दिनों से बनी है स्थिति पीडि़त लोगों के सामने कई समस्याएं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 09:25 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 09:25 AM (IST)
प्रभावित इलाकों में घरों में पानी, संपत्ति के मोह में फंसी जिंदगानी Muzaffarpur News
प्रभावित इलाकों में घरों में पानी, संपत्ति के मोह में फंसी जिंदगानी Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शहरी क्षेत्र के बाढ़ पीडि़त पेयजल को तरस रहे। घरों में लगे मोटर और चापाकल पानी में डूबे रहने के कारण पीड़ा बढ़ती जा रही। बोतलबंद पानी खरीद कर जुगाड़ की नाव से ला रहे। हालांकि, वह नाकाफी है। ऐसे में उन्हें गंदा और दूषित पानी पीने को बाध्य होना पड़ रहा। शहर के आधा दर्जन वार्डों के पांच सौ से अधिक घर बूढ़ी गंडक के पानी में पिछले 10 दिनों से डूबे और घिरे हैं। प्रभावित परिवार के लोग बांध एवं स्कूलों में शरण ले रहे। हालांकि, कुछ लोग अब भी मोह के भंवर में फंसे हैं और तमाम मुश्किलों के बावजूद घरों में ही हैं। जिनका मकान पक्का है, वे छतों पर प्लास्टिक तानकर रह रहे।

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पेयजल के अलावा लोगों को शौचालय के संकट का भी सामना करना पड़ रहा। बांध पर शरण लेने वालों को यत्र-तत्र खुले में शौच को बाध्य होना पड़ रहा। महिलाओं को सर्वाधिक परेशानी है। रोशनी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण अंधेरे में रात काटनी पर रही। सांप-बिच्छू और अन्य विषैले कीट का खतरा बना है। जो लोग बाढ़ के बीच मकान की छतों पर रहे, उनके समक्ष आवागमन की समस्या है। नाव की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण जुगाड़ का सहारा लेना पड़ रहा। पुरुष तो किसी तरह जान जोखिम में डालकर निकल जा रहे, महिलाएं व बच्चे घरों में कैद हैं। स्कूल तक पहुंचने के सारे रास्ते डूबे हैं। ऐसे में बच्चों का पठन-पाठन पूरी तरह ठप है।

जिला और निगम प्रशासन मौन

बाढ़ और जलजमाव के बीच जिला और निगम प्रशासन मौन है। उनकी मदद को कोई आगे नहीं आ रहा। इससे बाढ़ पीडि़तों में आक्रोश है। पार्षदों ने भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है। वार्ड 15 की पार्षद अंजू देवी का कहना है कि प्रशासन की ओर से वार्ड के बाढ़ पीडि़त परिवारों को किसी प्रकार की मदद नहीं की जा रही। बांध पर सैकड़ों परिवार शरण ले रहे। उनके लिए अब तक सामुदायिक रसोई की व्यवस्था नहीं की गई है। पानी एवं शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई गई।


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