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पानी में घिरे, लेकिन बूंद-बूंद पानी को तरस रहे बाढ़ पीडि़त Muzaffarpur News

विजयी छपरा गांव में बाढ़ से तबाही बांध पर शरण लेने को विवश हो रहे लोग। मजदूरों को नहीं मिल रहा काम किसी तरह कट रही जिंदगी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 09:36 AM (IST)
पानी में घिरे, लेकिन बूंद-बूंद पानी को तरस रहे बाढ़ पीडि़त Muzaffarpur News
पानी में घिरे, लेकिन बूंद-बूंद पानी को तरस रहे बाढ़ पीडि़त Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। बाढ़ में जहां तक नजर जाती, वहां तक पानी ही पानी। लेकिन, पानी बिन कंठ सूख रहा। पीने को साफ पानी की व्यवस्था दूर-दूर तक नहीं। यह पीड़ा है बूढ़ी गंडक नदी किनारे बसे बाढग़्रस्त विजयी छपरा बांध पर शरण लिए लोगों की। बूढ़ी गंडक के उत्तरी छोर पर बसे विजयी छपरा, रसूलपुर इलाके की एक बड़ी आबादी बाढ़ से घिरी है।

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बांध पर अस्थायी मचान बनाकर वहां पर पीडि़त परिवार शरण ले रहे। एक चौकी पर पूरा परिवार रात-दिन काट रहा। अधिकतर लोगों के घर-आंगन पानी से लबालब हैं। चापाकल भी पानी में डूब गए हैं। बाढ़ के पानी के बीच पीने के पानी को पीडि़त तरह रहे। नया टोले के पास बांध पर अंजान चेहरे को देखते ही महिला व बच्चे जुट जाते हैं। वहां से पानी में डूबे घरों को दिखाते हैं। बीरेंद्र सहनी बताते हैं कि हर घर में पानी भरने से चापाकल डूब गए हैं। पीने के पानी का संकट है। किसी तरह से काम चल रहा।

कोठी के आनाज कोठी में रह गेल...

उर्मिला देवी कहती हैं कि एकाएक पानी आ गेल। कोठी में से आनाज निकाले के कोशिश गईल बाकी न निकल लल..। पानी अंगना से घर ले घुस गेल...। कोठी के आधा से ज्यादा अनाज कोठी में रह गेल। जान-प्राण लेके बांधा पर अईली...। बाढ़ से जान त बाच गेल बाकी अब खाना बिनू जान बचाएल मुश्किल हई..। लोगों का कहना है कि बाढ़ के कारण मजदूरी मिलना मुश्किल हो रहा है। किसी तरह से काम चल रहा है। रीना देवी कहती हैं, बांध पर किसी तरह खाना पका लेते हैं।

बच्चों का छूट रहा स्कूल

चंदन कुमार ने बताया कि बाढ़ के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा रहे। रात में छाती पर हाथ रहता है कि बांध पर सो रहे बच्चों को बाइक वाले ठोकर न मार दें। चारों ओर पानी ही है, बच्चे कहां जाएं। खेलने जाने देने में भी डर लगता है, पानी में डूबने का डर। सब कुछ बर्बाद हो गया। नंदलाल सहनी का कहना है कि पत्नी बीमार है, उसको मचान पर रखकर दवा दे रहे। अभी तक इस इलाके में राहत वितरण नहीं हो रहा है। बगल के रसूलपुर में घर डूबा हुआ है। हंगामा करने पर पॉलीथिन मिला, वह भी जैसे-तैसे।  


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