छप्पर पर रात काटली, अब मांग-चांग के काम चल रहल हई... Muzaffarpur News
बकुची चौक पर बाढ़ से बर्बादी तेज धार में गिरी झोपड़ी। बांध कॉलेज शरणस्थली हर घर में घुस गया छाती भर पानी। राहत नहीं बंटने से आक्रोश आसमान में बादल पर बेचैनी।
मुजफ्फरपुर [अमरेन्द्र तिवारी]। बागमती नदी किनारे बसा बकुची गांव। गांव के चारों ओर पानी ही पानी। जिसको जहां आश्रय मिला वहां शरण ले ली। प्यारे आलम के घर का सारा समान बर्बाद हो गया। उसने जंग बहादुर सिंह धनौर कॉलेज बकुची में शरण ले रखी है।
प्यारे कहते हैं कि मुख्य गेट में ताला बंद, परिसर में बालू ही बालू, बगल में बागमती की तेज धार, चहारदीवारी पार कर पूरा परिवार अंदर बाहर आ-जा रहा है। रात में सांप-बिच्छू का भय है। कोई राहत नहीं मिली है।
पानी उतरने के बाद बकुची चौक पर पहुंचे शत्रुघ्न भगत उर्फ कुंवर ने कहा कि हम सब के छह दिन छप्पर आ दोसरा के छत पर बीतल..। नमक चिउरा से काम चलल, कोई हाकिम देखे न अइलन..।
दीपक कुमार ने बताया कि जे बचल रहलई उ खत्म हो गेल, अब मांग-चांग के काम चल रहल हई..। रिश्तेदार बाहर से खाना-पीना में सहयोग कर रहे हंै। चौकी पर चौकी रखकर जीवन काटना विवशता है। हर घर में छाती भर पानी। बकुची चौक के सारे दुकान बह गए। कल से पानी घटा तो गांव वाले छप्पर व बांध छोड़कर गांव में आ रहे हैं। लेकिन, अभी भी भयावह हालात हैं।
बकुची चौक के दुकानदार अब्दुल राइन ने बताया कि पिछले शनिवार की रात चौक पर नाती के साथ दुकान में सोए थे। अचानक पानी बढऩे लगा। इतनी तेज धार की निकलना मुश्किल। देखते ही देखते पूरा चौक मलबा में बदल गया। छह दिन तक मकान के ऊपर टीन रखकर पूरा परिवार सोया। बारिश होने पर परेशानी। सरकार अगर बांध पुनर्वास की राशि दे दे तो यहां से बाहर जाकर घर बना लेते।
पीपा पुल तैयार हुआ तो निकले बाजार
वीणा देवी बोली कि घर में कीचड़ है। पानी हटा तो अब बीमारी की चपेट में लोग आ रहे हैं। सात दिन बाद आज पीपा पुल तैयार हुआ तो बाजार निकले हैं। दस दिन बाद थाली में हरी सब्जी है। पीपा पुल के संचालक अरुण कुमार सिंह व पंकज झा ने बताया कि तेज धार में पीपा पुल बह गया था। किसी तरह से पुल को ठीक करा रहे हैं जिससे कटरा के उत्तर वाले इलाके के लोग आ-जा सकें। राहत व बचाव में जुटे धनौर निवासी अमित कुमार शर्मा ने बताया कि राहत व बचाव काम में तेजी लाने की जरूरत है।
फसल की जबर्दस्त बर्बादी
किसान योगेन्द्र महतो ने कहा कि इस गांव में हरी सब्जी से किसानों को हर दिन बीस से पच्चीस हजार की आमदनी होती थी। लेकिन, जलजमाव से सब बर्बाद हो गया। जिधर देखें, उधर पानी ही पानी। सरकार की ओर से राहत भी सही तरह से नहीं बंट रही है।